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हल्द्वानी। बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों और मानवाधिकारों के उल्लंघन के विरोध में आज हजारों की भीड़ ने प्रदर्शन किया।

राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन  के नेतृत्व में यह प्रदर्शन एम.बी.आई. कॉलेज मैदान से  तिकोनिया तक प्रदर्शन शुरू हुआ।

सभी हिंदू संगठनों ने राष्ट्रपति के नाम कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के माध्यम से ज्ञापन दिया।

प्रदर्शनों में लोगों ने बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध और ईसाई समूहों के खिलाफ हो रहे मसूद, अन्य धर्म परिवर्तन, सांस्कृतिक रेगिस्तानों के विनाश और धार्मिक स्थानों पर बौद्ध हिंसा पर गहरी चिंताएं दर्ज कीं।

प्रत्यक्षीकरण में कहा गया है कि कट्टरपंथी पंथियों द्वारा महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा, निर्भरता और शिक्षा सेकरने जैसी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।

यह न केवल बांग्लादेश के संवैधानिक अधिकारों बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का भी उल्लंघन है।

प्रदर्शन को हल्द्वानी के व्यापारिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक संगठनों का पूर्ण समर्थन मिला। देवभूमि व्यापार मंडल, प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल और प्रांतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल ने शहर में कारोबार बंद रखने का आह्वान किया।

जिसे व्यापक समर्थन मिला। सिख समाज, बाल्मीकि समाज और अन्य कई संगठनों ने भी अपनी भागीदारी दर्ज कराई। प्रदर्शन में हजारों लोग शांतिपूर्ण ढंग से एकत्र हुए और बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग की।

ज्ञापन में भारत सरकार से बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाने, संयुक्त राष्ट्र से स्वतंत्र जांच आयोग गठित करने और हिंसा में शामिल अपराधियों को सजा दिलाने की मांग की गई।

साथ ही प्रभावित समुदायों के पुनर्वास और महिलाओं व बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष कदम उठाने की अपील की गई।

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