बेलगाम नशामुक्ति केंद्रों में दुष्कर्म, हत्या व मारपीट की घटनाएं हुई आम
देहरादून। नशे की लत से जूझते लोगों के लिए नशामुक्ति केंद्र उम्मीद की किरण होते हैं, लेकिन यही केंद्र सुधार की जगह शोषण का अड्डा बन चुके हैं।
बेलगाम नशामुक्ति केंद्रों में दुष्कर्म, हत्या व मारपीट की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
लगातार इसी तरह की घटनाओं के बावजूद सिस्टम इनमें सुधार लाने की जहमत नहीं उठा पा रहा है। हर घटना के बाद खानापूर्ति के लिए जांच शुरू होती है और कुछ समय बाद फाइलों में ही दबकर रह जाती है।
प्रदेश में केवल 116 नशामुक्ति केंद्र पंजीकृत
सरकारी दस्तावेजों में इस समय प्रदेश में केवल 116 नशामुक्ति केंद्र पंजीकृत हैं, जबकि सैकड़ों की संख्या में केंद्र बिना अनुमति के ही चल रहे हैं। स्थिति यह है कि नशामुक्ति केंद्रों में ठूंस-ठूंसकर मरीजों को रखा जाता है। यहां चिकित्सक की जगह नशा छुड़ाने के लिए आने वाले मरीज ही उपचार करना शुरू कर देते हैं।
केंद्रों में मरीजों को शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। कई बार मरीज को इतनी यातनाएं दी जाती हैं, कि उसकी मृत्यु तक हो जाती है। राजधानी में नशामुक्ति केंद्र में मरीज की मौत के कई मामले सामने भी आ चुके हैं।
घोषणाओं में ही खुल पाए दो नशामुक्ति केंद्र
युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य स्थापना दिवस पर नौ नवंबर 2021 को देहरादून व हल्द्वानी में दो नशामुक्ति केंद्र खोलने की घोषणा की थी। ये केंद्र सरकार की निगरानी में चलने हैं।
वर्तमान में हर जिले में बड़ी संख्या में नशा मुक्ति केंद्र तो खुले हुए हैं, लेकिन इनका नियंत्रण अभी किसी भी विभाग के पास नहीं हैं। मनमाने ढंग से खोले गए नशा मुक्ति केंद्रों में मारपीट, दुष्कर्म व नशे के साधनों की आपूर्ति जैसी घटनाएं बढ़ी हैं। तीन साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद नशामुक्ति केंद्र खोलने के लिए जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ।
आंतरिक सुरक्षा के नाम पर खानापूर्ति
नशामुक्ति केंद्रों में सुरक्षा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। केंद्रों में भर्ती मरीजों को ही सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाती है। मरीजों के खाने, केंद्र के अंदर कामकाज और समय-समय पर उनकी चेकिंग का जिम्मा इन्हीं लोगों पर रहता है।
केंद्रों का जिम्मा किसी विभाग के पास न होने के कारण इनकी चेकिंग भी नहीं हो पाती। जब नशामुक्ति केंद्र के अंदर कोई बड़ी वारदात हो जाती है, तब विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते हैं।
नशामुक्ति केंद्रों में अन्य राज्यों के हैं अधिकतर मरीज
पुलिस की मानें तो नशामुक्ति केंद्रों में अधिकतर मरीज उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा के हैं। नशे में दलदल में फंसने व बदनामी के डर से स्वजन उन्हें आसपास के नशामुक्ति केंद्रों में भर्ती करने के बजाय राज्य से बाहर भेज देते हैं।
नशामुक्ति केंद्रों में अब तक हुई घटनाएं
24 अक्टूबर 2021 को रिस्पना पुल के निकट लाइफ केयर फाउंडेशन रिहैब सेंटर में भर्ती युवक की तबीयत खराब होने के बाद मौत हो गई।
पांच अगस्त 2021 को क्लेमेनटाउन में प्रकृति विहार स्थित नशा मुक्ति केंद्र के संचालक पर केंद्र में भर्ती युवती के साथ दुष्कर्म का आरोप लगा।
23 अगस्त 2021 को वसंत विहार स्थित जीवन परिवर्तन नशा मुक्ति केंद्र से 12 युवक भाग गए।
सितंबर 2022 में राजपुर थाना क्षेत्र के बिष्ट गांव में जागृति फाउंडेशन नशा मुक्ति केंद्र में एक मरीज की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। उसका शव बाथरूम में फंदे पर लटका मिला।
12 अक्टूबर 2022 को वसंत विहार क्षेत्र में संचालित नशा मुक्ति केंद्र से आठ से 10 लोग भाग गए।
