केदारनाथ में हेलिकॉप्टर क्रैश में बुरी तरह जल चुके शवों की शिनाख्त के लिए पहले डीएनए टेस्ट की बात की गई लेकिन 37 साल पहले हुए विनोद देवी के ऑपरेशन के कट का निशान शिनाख्त का आधार बन गया।
इसके बाद डीएनए टेस्ट की जरूरत नहीं पड़ी। वरना, डीएनए रिपोर्ट आने में ही 10 से 15 दिन लग जाते।
रुद्रप्रयाग के जिला अस्पताल से सोमवार सुबह चार बजे विनोद देवी (66) और उनकी नातिन तुष्टि सिंह के शव परिजनों को सौंप दिए गए। मृतका विनोद देवी के पति धर्मपाल सिंह ने बताया कि रुद्रप्रयाग के डीएम डॉ. सौरभ गहरवार उनसे जिला अस्पताल में मिले और बोले कि शव का डीएनए होना था। शव के तौर पर कंकाल ही बचे हैं, एक बार देख लो।
फिर डीएम ने पूछा कि क्या विनोद देवी का कभी ऑपरेशन हुआ था। जिस पर परिजनों ने कहा हां, तब डीएम ने बताया कि दो महिलाओं के शव हैं। एक के पेट पर ऑपरेशन के कट का निशान है। इसके बाद धर्मपाल सिंह और परिजनों ने ऑपरेशन होने की बात कही। जोकि 37 साल पहले छोटे बेटे के जन्म के वक्त हुआ था।
इसी ऑपरेशन के कट के निशान के आधार पर विनोद देवी के शव की पहचान हो सकी। बताया गया कि रुद्रप्रयाग के डीएम डॉक्टर भी हैं, जिनके पास एमबीबीएस की डिग्री है। उनकी सूझबूझ के चलते ही बिना डीएनए टेस्ट कराए विनोद देवी के शव की शिनाख्त हो सकी।
विनोद देवी की नातिन तुष्टि का शव भी बुरी तरह से जल चुका है। शव के अवशेष में एक हाथ का अवशेष था, जिसकी उंगली में अंगूठी थी। यह अंगूठी भी हड्डी से चिपक चुकी थी। मगर अंगूठी से शव के अवशेषों को पहचान लिया गया।
हेली सेवा कंपनी ने नहीं दी हादसे की जानकारी
धर्मपाल सिंह बताते हैं कि वह अपने पौत्र ईशान और नाती गौरांश के साथ शनिवार शाम को ही गुप्तकाशी पहुंच गए थे। पीछे से आने वाले हेलिकॉप्टर से उनकी पत्नी विनोद देवी और नातिन तुष्टि को आना था। मगर मौसम खराब होने के कारण उनका हेलिकॉप्टर नहीं उड़ पाया। रविवार की सुबह 5:11 बजे हेलिकॉप्टर उड़ा। जोकि 5:24 पर क्रैश हो गया।
धर्मपाल सिंह बताते हैं कि करीब साढ़े पांच बजे हेली सेवा कंपनी के किसी कर्मचारी ने तुष्टि का मोबाइल फोन नंबर मांगा। उन्होंने नंबर दिया और खुद भी कॉल की। मगर तुष्टि का मोबाइल बंद आया। इसके दो घंटे बाद हेली सेवा कंपनी ने गुप्त काशी आने के लिए कहा मगर हादसे की जानकारी नहीं दी। इससे पहले ही समाचार चैनलों के माध्यम से उन्हें जानकारी मिल चुकी थी।
नहीं मिली एंबुलेंस, कार में लाए अवशेष की पोटली
महिला विनोद देवी और उनकी नातिन के शव के अवशेष पोटली में बंधकर आए। जिन्हें लाने के लिए उत्तराखंड से कोई एंबुलेंस नहीं मिली। काली पन्नी में बंधे दोनों के शव एक ही कार में रख कर लाए। नजीबाबाद आकर एंबुलेंस मिली, जहां से तुष्टि के शव को एंबुलेंस में रखकर बिजनौर स्थित आवास की तरफ भेजा गया जबकि विनोद देवी का शव कार से ही नगीना पहुंचा।
शव घर पहुंचे तो बह उठा आंसुओं का सैलाब
अधिवक्ता धर्मपाल सिंह की पत्नी विनोद देवी का अधजला शव काली पन्नी में लिपटकर सोमवार सुबह जैसे ही घर पहुंचा, चीख पुकार मच गई। अपने जीवनसाथी का 48 साल लंबा साथ छूट जाने का दर्द धर्मपाल सिंह की आंखों में भी था।
हेलिकॉप्टर क्रैश में नगीना की विनोद देवी और महाराष्ट्र की श्रद्धा की मौत हुई है। रुद्रप्रयाग के जिला अस्पताल में इन दोनों महिलाओं के शव रखे थे।
अब कट के निशान की वजह से विनोद देवी के शव की शिनाख्त होने के बाद डीएम ने श्रद्धा का शव उसके परिजनों को सौंप दिया। क्योंकि दो महिलाओं के शवों में कौन सा किसका है, यह मुश्किल हो रहा था।

