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नैनीताल में डाकघर के प्राचीन भवन को तोड़ने और पंत और गांधी जी की मूर्ति को स्थानांतरित करने का विरोध

रिपोर्टर गुड्डू सिंह ठठोला

नैनीताल। तल्लीताल स्थित ऐतिहासिक डाकघर के भवन को ध्वस्त करने और गांधी जी की मूर्ति को स्थानांतरित करने की योजना ने स्थानीय नागरिकों में चिंता और विरोध उत्पन्न किया है।

यह डाकघर, जो 1873 में बना था, न केवल एक विरासती इमारत है, बल्कि नैनीताल की सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक है। इसके संरचना में विशेष रूप से लकड़ी का हल्का ढाँचा शामिल है।जो झील के ऊपर एक पुल पर स्थित है।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस डाकघर से जुड़ी अनगिनत स्मृतियाँ हैं और इसे तोड़ना केवल ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान पहुँचाने जैसा होगा। हाल ही में संचार मंत्री ने भी उत्तराखंड सरकार को इस भवन की ऐतिहासिकता के बारे में अवगत कराया है।

जिससे इसकी सुरक्षा की आवश्यकता और भी बढ़ गई है। भूगर्भीय विशेषज्ञों ने भी इस क्षेत्र में भारी निर्माण कार्य को अनुचित बताया है।
नागरिकों ने प्रशासन से आग्रह किया है कि डाकघर को एक म्यूजियम के रूप में संरक्षित किया जाए, जहाँ संचार के पुराने तरीकों को दर्शाया जा सके। साथ ही, गांधी जी की मूर्ति को हटाने की योजना का भी विरोध किया जा रहा है।

स्थानीय लोगों का मानना है कि नैनीताल की धरोहर को सुरक्षित रखने के लिए प्रशासन को अधिक संवेदनश और संगठित दृष्टिकोण में अपनाना चाहिए

राजीव लोचन शाह ने कहा नैनीताल में अजीबो अजीब काम हो रहे हैं। डीएसए ग्राउंड चौपट हो गया है ग्राउंड के अंदर एक रॉक क्लाइंबिंग मॉल के नाम पर एक बड़ा स्तंभ खड़ा कर दिया गया है।

सुनाई में आ रहा है कि महात्मा गांधी और गोविंद बल्लभ पंत की मूर्ति को हटा दिए जाएंगे इतना हमारा 1871 का यह डाकघर है जो यहां से हटाया रहा है। और यह मतलब क्यों और किस लिए किया जा रहा है।

यह किसी की समझ में नहीं आ रहा है। सिर्फ चर्चाएं हैं और अफवाहें जिसको आप स्टेकहोल्डर कहते हैं नैनीताल की जनता से उनसे किसी से बात नहीं की जा रही है। बड़ा खतरा है बलिया नाले के लोग हैं।

यहां पर बैठे हुए हैं बलिया नल को खाली कराया जा रहा है और इन लोगों से कह दिया है की दिवाली तक खाली कर दें इसमें एक पार्किंग बनाई जा रही है। बलिया नाला जो एक बहुत बड़े भूगर्भीय फॉल्ट पर स्थित है।

यह सीधे तालाब से चला जाता है और बहुत ही संवेदनशील है। कभी भी अगर ज्यादा इसके साथ छेड़छाड़ आप देख रहे हैं और नैनीताल शहर का एक हिस्सा ऑलरेडी खा चुका है।

वह ज्यादा छेड़छाड़ की जाएगी तो हो सकता है पूरा नीचे को चला जाए तो इसके लिए कोई इनके पास वैज्ञानिक सोच नहीं है इनके पास पर्यटन को लेकर कोई सोच नहीं है इससे पहले जिलाधिकारी आए थे उन्होंने हेरिटेज को इतना जोर दिया था कि नैनीताल के अंग्रेजों के बसाया शहर हैं।

उनके बावजूद क्योंकि यह चंद्र राजाओं का शहर नहीं है। अंग्रेजों का बसाया हुआ शहर है।जबरदस्ती
और वह विकास समाज देख रहे हैं कि तल्लीताल की बाजार बारिश में एक गधेरा हो जाती है पानी की निकासी ही नहीं है। हम सब यह आप से बातचीत करने के लिए इस नैनीताल को कैसे बचाया जाए और प्रशासन से यह कहने के लिए कि जब तक आप हमारे आगे हमारे सामने आकर अपनी यह सब बात नहीं बताते हैं कि पर्यटन को लेकर आपकी अवधारणा क्या है समझते हैं और क्या-क्या निर्माण कार्य करना चाह रहे हैं।

इन सबको लेकर आप जनता को यहां विश्वास में नहीं लेते तब तक के निर्माण कार्य को रोका जाए।अगर आप सही कर रहे होंगे तो हम आपके साथ खड़े होंगे आप गलत कर रहे होंगे जो कि हमें फिलहाल लगता है कि आप बहुत गलत कर रहे हैं तो हम उसका विरोध करेंगे
इस दौरान लीला बोरा,राजीव लोचन शाह, डा रमेश पॉंडे, डॉ उमा भट्ट, शीला रजवार, जहूर आलम, दिनेश उपाध्याय, रईस, अनुपम कबडवाल, अनुप शाह, जय जोशी, शैलजा मेहरा, हरेन्द्र सिंह, माया चिलवाल, भावना भट्ट, हरीश पाठक निलानजना डालमिया आदि लोग मौजूद रहे।

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