नैनीताल में आए भू-कानून उल्लंघन के सर्वाधिक मामले
उत्तराखंड के चार जिलों में बाहरी लोगों के जमीन खरीद पर रोक लगाने की सिफारिश की गई। भू-कानून के तहत इस मामले को उठाया गया है। आयुक्त कुमाऊं एवं सचिव मुख्यमंत्री दीपक रावत की अध्यक्षता में सोमवार को सर्किट हाउस में हुई भू-कानून समीक्षा बैठक में सिफारिश की गई है।
अधिकारियों ने कहा कि पिथौरागढ़ व चम्पावत में ही बाहरी लोगों के 250 वर्ग मीटर भूमि खरीदने की व्यवस्था की जाए। जबकि नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, अल्मोड़ा व बागेश्वर के लिए सख्त भू-कानून बनाते हुए बाहरी लोगों के जमीन खरीद पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाए।
तराई-भाबर में कृषि भूमि व औद्योगिक क्षेत्र के लिए होने वाली खरीद-फरोख्त पर भी रोक लगाए जाने की जरूरत है। काठगोदाम स्थित सर्किट हाउस सभागार में हुई ।
जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम (भू-कानून) की समीक्षा बैठक में आयुक्त ने मंडल के पर्वतीय व मैदानी क्षेत्रों में जमीन की खरीद फरोख्त को लेकर सभी जिलों के एसडीएम व तहसीलदारों को भूमि क्रय प्रयोजन की जांच कराने के निर्देश दिए।
कहा कि मंडल में जिन लोगों ने भूमि धार्मिक प्रयोजन के लिए ली है, लेकिन उसका प्रयोग होटल, रिसॉर्ट आदि में हो रहा है तो उसकी जांच कर कार्रवाई की जाए। अधिकारियों की सिफारिशों को शासन को भेजा जाएगा।
कुमाऊं में भू-कानून उल्लंघन के मामलों की समीक्षा के दौरान मंडलभर से आए 143 मामलों पर चर्चा की गई। इनमें सर्वाधिक 74 मामले नैनीताल जिले में प्रकाश में आए हैं।
अल्मोड़ा में 24, ऊधमसिंह नगर में 41, बागेश्वर में 4 मामले सामने आए हैं। चम्पावत और पिथौरागढ़ जिले में भू-कानून उल्लंघन का कोई भी मामला प्रकाश में नहीं आया है। सभी मामलों एसडीएम कोर्ट में वाद दायर कर सुनवाई शुरू कर दी गई है।