साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण आज 29 मार्च दिन शनिवार को चैत्र अमावस्या पर्व पर लग रहा है. आज के दिन सूर्य ग्रहण के अलावा शनिचरी अमावस्या और शनि का मीन राशि में गोचर है।
ज्योतिष की दृष्टि से यह दिन काफी महत्वपूर्ण है. विज्ञान के अनुसार सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटनाक्रम है, लेकिन इसका धार्मिक महत्व भी है, जिसका कारण राहु और केतु माना जाता है।
धार्मिक दृष्टि से राहु और केतु सूर्य का ग्रास करने का प्रयास करते हैं, इस वजह से सूर्य ग्रहण लगता है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि सूर्य ग्रहण कब लगेगा? सूर्य ग्रहण का सूतक काल कब से है? यह कहां दिखाई देगा? सूर्य ग्रहण के समय क्या करें और क्या न करें?
सूर्य ग्रहण 2025 समय
भारतीय समय के अनुसार, आज दोपहर 2 बजकर 20 मिनट पर साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा. यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण है. यह सूर्य ग्रहण 3 घंटे 53 मिनट तक रहेगा. उसके बाद इसका मोक्ष होगा. इस सूर्य ग्रहण का समापन आज शाम 6:13 बजे होगा. शाम 4:17 बजे यह अपने चरम पर होगा।
सूर्य ग्रहण 2025 सूतक काल
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण का सूतक काल 12 से 9 घंटे पहले ही प्रारंभ हो जाता है. इसमें सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले लगता है, जबकि चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पूर्व लग जाता है. सूतक काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करते हैं।
भारत में सूतक काल नहीं होगा मान्य
मान्यताओं के अनुसार, जो ग्रहण अपने स्थान विशेष पर दिखाई देता है, वहीं पर उसका सूतक काल मान्य होता है. यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. इस वजह से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. इस सूर्य ग्रहण के समय किसी भी कार्य पर पाबंदी नहीं होगी।
कहां-कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण?
आज का आंशिक सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, यूरोप, एशिया, अफ्रीका के अलावा अटलांटिक महासागर और आर्कटिक महासागर के क्षेत्रों में दिखाई देगा. उत्तरी अमेरिका में यह अच्छे से दिखाई देगा।
सूर्य ग्रहण का धार्मिक कारण
सागर मंथन के समय जिस राक्षस ने छल से अमृत पान किया था, उसे सूर्य और चंद्र देव ने पहचान लिया था. उन्होंने देवों को इसके बारे में बताया. तब विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर काट डाला. सिर राहु और धड़ केतु कहलाया. अमृत के प्रभाव से दोनों अमर हो गए तो विष्णु जी ने नक्षत्र मंडल में स्थान दिया. इन दोनों को पाप और छाया ग्रह कहते हैं. ये दोनों हर साल सूर्य और चंद्रमा का ग्रास करने की कोशिश करते हैं. इससे ग्रहण लगता है।
कब लगता है सूर्य ग्रहण?
हर साल अमावस्या पर सूर्य ग्रहण और पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगता है. सामान्यतया एक साल में 2 बार सूर्य ग्रहण और 2 बार चंद्र ग्रहण होता है।
सूतक काल में क्या करें, क्या न करें
वैसे तो भारत में सूर्य ग्रहण न दिखने से सूतक काल मान्य नहीं है. लेकिन जब सूतक काल लगता है तो सभी शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. इसमें भोजन बनाना, खाना, सोना, स्नान, दान, सूर्य को नंगी आंखों से देखना, गर्भवती महिलाओं के घर से बाहर जाने पर रोक होती है. उनको चाकू, नुकीली वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए. मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
सूर्य ग्रहण के खत्म होने के बाद मंदिरों की साफ-सफाई करते हैं. स्नान करके साफ कपड़े पहनते हैं. भगवान की मूर्तियों को स्नान कराते हैं. पूजा पाठ करते हैं और भोग लगाते हैं. अपनी क्षमता के अनुसार दान-दक्षिणा देते हैं।
