उत्तराखंड में धामी कैबिनेट के विस्तार की चर्चाएं तेज हो गईं हैं. कैबिनेट मंत्री के तौर पर किसकी लॉटरी लगेगी इसे लेकर सियासी गलियारों मे कयास लगाए जा रहे हैं।
वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की कैबिनेट से विदाई के बाद अब धामी कैबिनेट में पांच कुर्सियां खाली हो गईं हैं ।
उत्तराखंड में कैबिनेट में मुख्यमंत्री को मिलाकर कुल 12 मंत्रियों के सीट है वहीं खाली कुर्सियों पर जहां एक दर्जन से अधिक विधायकों की नजर है.धामी कैबिनेट के विस्तार की खबरों के बीच अब बीजेपी में युवा और बुजुर्ग विधायकों को अलग-अलग वजहों से लॉटरी लगने की उम्मीद जगी है।
जहां एक और युवा विधायक इस बात को लेकर उम्मीद लगाए बैठे हैं कि युवा मुख्यमंत्री होने के नाते पुष्कर सिंह धामी युवाओं को अधिक तवज्जो देंगे तो वहीं कई बार से विधायक बनते आ रहे नेताओं को आशा है कि उनके अनुभव को देखते हुए संगठन उनकी पैरवी जरूर करेगा. वही कयास लगाई जा रहे हैं कि कुछ मंत्रियों के कुर्सियों में भी बदलाव किया जा सकता है.
इन चेहरों की लग सकती है लॉटरी
वहीं सियासी गलियारों में कैबिनेट में शामिल होने वाले नामों को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।
इन नामों में मदन कौशिक, विनोद चमोली, बिशन सिंह चुफाल, खजान दास, बंशीधर भगत, मुन्ना सिंह चौहान और अरविंद पांडेय के नाम शामिल हैं।
आमतौर पर माना जाता है कि कैबिनेट विस्तार की सुगबुगाहट मिलते ही पार्टी के विधायक प्रदेश मुख्यालय पर दौड़ लगा देते हैं लेकिन इस बार बीजेपी में ऐसा नहीं दिख रहा है. हालात ये हैं कि देहरादून स्थित बीजेपी मुख्यालय में भी गहमागहमी नहीं दिख रही है।
सामान्य दिनों की ही तरह कार्यालय में काम हो रहा है. जानकारी सामने आ रही है कि मंत्री पद की कुर्सी हासिल करने के लिए कुछ विधायक दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं जो अपने आकाओ के संपर्क में है ।
इस बार का कैबिनेट विस्तार सरकार और संगठन दोनों के लिए आसान नहीं वाला है. कैबिनेट विस्तार को लेकर पार्टी और सरकार दोनों को माथापच्ची करनी पड़ रही है।
दरअसल इस बार पार्टी और सरकार को राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों को साधने के साथ-साथ प्रेमचंद अग्रवाल के प्रकरण से उपजी नाराजगी को भी थामना होगा।
यही वजह है कि कैबिनेट विस्तार में साफ छवि का विधायको को ही मौका देने पर अधिक जोर रहने वाला है. क्योंकि किसी दागी विधायक को कैबिनेट में कुर्सी दी गई तो नाराजगी और बढ़ सकती है।
