उत्तराखंड का राजकीय वृक्ष बुरांश फूल पूजा में शामिल होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है।
रिपोर्टर गुड्डू सिंह ठठोला
नैनीताल। उत्तराखंड का राजकीय वृक्ष बुरांश फूल समय से महकने लगा है। बुरांश का फूल जंगल को ही नहीं महकाता बल्कि दिल को भी राहत देता है। लोग बुरांश फूल का जूस बनाकर बाजारों में बेजते हैं।
जिससे लोगों की आमदानी बढ़ने के साथ-साथ घर भी चल जाता है। नैनीताल समेत अन्य उच्च पर्वतीय क्षेत्रों के जंगल बुरांश के फूलों से दमक रहे हैं। चटक लाल रंग का यह फूल जंगलों में खूबसूरत छत्ता बिखेर देता है।
बुरांश का फूल न सिर्फ जंगल को दमकाता है, बल्कि दिल को भी राहत देता है। यह फूल स्वास्थ्य की दृश्टि से भी लाभप्रद है।
बुरांश मध्यम उचाई का सदापर्णी वृक्ष है। हिमालय क्षेत्रों में समुन्द्र तल से लगभग 1500 मीटर से 2000 मीटर की उचाई वाले स्थानों पर बुरांश का वृक्ष पाया जाता है। नैनीताल के जंगलों मे बुरांश के फूल इन दिनों चारों तरफ अपनी खुशबू बिखेर रहे हैं।
गर्मियों की आहट के साथ ही जंगलों में इनके खिलने का क्रम शुरू हो गया है। करीब एक माह तक बुरांश इसी तरह से जंगलों को सुंदर बनाए रखेगा। इनका चटकीला लाल रंग हर किसी को बरबस जंगल की तरफ खिंचा चले जाने को मजबूर कर रहा है। बुरांश पर्वतीय क्षेत्रों का विशेष वृक्ष है, जिस की प्रजाती अन्यत्र नही पाई जाती है।
बुरांश के फूलों में कई प्रकार के औषधीय गुण विद्यमान है। विशेषज्ञों का मानना है कि बुरांश के फूल जहां गर्मियों में लू लगने से बचने में उपयोगी है।
इसके फुलों के रस में प्रचुरता में एंटी आक्सीडेंट होता है जो टाक्सिन और हानिकारक कीटाणुओं का सफाया करने के लिए जरूरी होते है।
बुरांश का शरबत ह्रदय सम्बंधित बिमारियों को दूर करने के लिए भी लाभब्रद होता है। वहीं इसका उपयोग स्कवॉश बनाने के साथ-साथ जैम व चटनी बनाने में भी किया जाता है। इसके अलावा बुराश के रस से अन्य कई प्रकार की दवाइयों को बनाया जा सकता है।
