हल्द्वानी। जेल में बंदियों को उनके मानसिक विकास और अच्छे आचरण और भविष्य में साहित्यिक पुस्तकों से ज्ञान प्राप्त करने तथा मानसिक विकास में योगदान देने के उद्देश्य से लेखिका आशा शैली द्वारा पुस्तकें भेंट दी गयी।
सर्वप्रथम मां शारदे को नमन करते हुए डॉ रेनूशरण ने कहा कि यह एक अच्छी पहल है़, इस तरह के सहयोग से युवाओं को साहित्य लेखन मे रुचि बढ़ेगी तथा निश्चित ही उन्हें इन पुस्तकों के अध्ययन से एक नई दिशा मिलेगी।
कवियित्री मीना जोशी द्वारा बंदियो के कर्तव्य,अधिकार एवं न्याय के संबल पर कविता और महिला अधिकारों के विषय में बताया गया ।
आशा शैली द्वारा शास्त्रों एवं लघुकथाओं के माध्यम से बताया गया कि क्रोध आने पर मनुष्य को कोई काम नहीं करना चाहिए, इससे न चाहते हुए अपराध हो जाते हैं।
इसके अलावा आशा शैली ने कहा कि कारागार में मिले समय को युवा वर्ग लेखन और अध्ययन में लगाकर नई चेतना प्राप्त कर सकता है
उप जेलर नीलम धामी द्वारा आशा शैली एवं डॉ. रेनूशरण को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया ।
उप जेलर रचित कुमार, अमित कुमार द्वारा इस पहल की प्रसंशा की गई तथा भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने के लिए आग्रह किया गया।
अधिवक्ता दिनेश जोशी द्वारा श्रीमद्भगवदगीता द्वारा कर्तव्यकर्म के विषय में बताया गया जिससे समाज को बेहतर दिशा मिले एवं जेल में उपस्थित सभी पदाधिकारियों को श्रीमद्भगवद्गीता की भेंट दी गयी।
जेलर विजय भंडारी द्वारा बताया गया कि इन पुस्तको का सदुपयोग इन बंदियों के जीवन की बेहतरी के लिए किया जाएगा ।
जेल अधीक्षक प्रमोद कुमार द्वारा आशा शैली की सराहना करते हुए इस तरह के साहित्य पुस्तकों के भेंट के लिए आभार व्यक्त किया ।
