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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल के मल्लीताल के अंडा मार्केट के निकट फ्री होल्ड नजूल भूमि को पूर्व में जिलाधिकारी नैनीताल द्वारा निरस्त किए जाने के आदेश को चुनौती देती याचिका पर की सुनवाई 

रिपोर्टर – गुड्डू सिंह ठठोला

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल मल्लीताल अंडा मार्किट के निकट स्थित पौनिसराय की फ्री होल्ड नजूल भूमि को पूर्व में जिलाधिकारी नैनीताल द्वारा निरस्त किए जाने के आदेश को चुनौती देती याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अधिशासी अधिकारी नगर पालिका को निर्देश दिया है कि पालिका में कार्यरत जिन कर्मचारियों के नाम नजूल भूमि फ्री होल्ड हुई है उसकी सूची कोर्ट में पेश की जाय।

हाईकोर्ट ने पौनिसराय नजूल भूमि के सम्बंध में वर्ष 2004 व 2013 में जिलाधिकारी नैनीताल द्वारा जारी आदेश का रिकॉर्ड न मिलने व नजूल भूमि के कागजात में छेड़छाड़ होने की जांच एस एस पी नैनीताल को सौंपी है।

कोर्ट के पूर्व के आदेश पर एस एस पी नैनीताल प्रह्लाद नारायण मीणा आज कोर्ट में पेश हुए उन्होंने कोर्ट को बताया कि आरोपी तत्कालीन नजूल क्लर्क के खिलाफ मल्लीताल कोतवाली में एफ़ आई आर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जानना चाहा कि नगर पालिका कर्मचारी को नजूल भूमि फ्री कैसे हो सकती है । जिस पर कोर्ट को बताया गया कि नजूल भूमि स्व.रामस्वरूप सहदेव के अलावा कई अन्य कर्मचारियों व बोर्ड के जनप्रतिनिधि रहे लोगों के नाम भी फ्री होल्ड हुई है।

जिनका रिकॉर्ड कोर्ट ने तलब किया है। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 3 सप्ताह बाद की तिथि नियत की है।
प्रशासन ने अपने एक आदेश में फ्री होल्ड जमीन 222 वर्ग मीटर बताई है जबकि कुछ रिकॉर्ड में यह भूमि 450 वर्ग मीटर बताई गई है।

आरोप है कि तत्कालीन नजूल क्लर्क ने रिकॉर्ड में यह छेड़छाड़ की है। उनके खिलाफ मल्लीताल कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ है।

आपको बता दें कि प्रो.अजय रावत की जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान तत्कालीन अधिशासी अधिकारी नगर पालिका ने कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा कि पौनिसराय की नजूल भूमि जो सार्वजनिक उपयोग की थी, नियमविरुद्ध फ्री होल्ड हो गई थी ।

जिसे रदद् किया जाए और 2016 में यह फ्री होल्ड निरस्त कर दिया गया। इस मामले में प्रमोद सहदेव ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अपील दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी एस एल पी निस्तारित करते हुए उनसे जिलाधिकारी के समक्ष प्रार्थना पत्र देने को कहा यह प्रार्थना पत्र तब से लम्बित है ।

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