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एक हजार की आबादी के लिए सड़क बना सपना

ऋषिकेश। विधायक-मंत्री से लेकर अधिकारी तक आए दिन प्रदेश के विकास के बड़े-बड़े दावे करते रहते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में आज भी लोग सड़क जैसी मूलभूत सुविधा को तरस रहे हैं।

इसका ताजा उदाहरण टिहरी जिले के नरेंद्रनगर ब्लाक की दोगी पट्टी में बुधवार को तब देखने को मिला, जब एक गर्भवती को अस्पताल पहुंचाने के लिए गांव की अन्य महिलाएं डंडी से दस किमी दूर सड़क तक ले जा रही थीं और इसी बीच मार्ग में ही उसका प्रसव हो गया।

दोगी पट्टी के नौडू गांव पहुंचने के लिए सड़क से दस किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। ऐसे में कोई बीमार पड़ जाए तो उसे अस्पताल पहुंचाना एवरेस्ट लांघने जैसा चुनौतीपूर्ण कार्य है। बीते बुधवार को भी गांव में एक गर्भवती को प्रसव पीड़ा होने पर सड़क तक पहुंचाना चुनौती बन गया।

ग्राम पंचायत नौडू की प्रधान सीमा देवी ने बताया कि गर्भवती की स्थिति देख गांव की अन्य महिलाओं ने उसे डंडी से सड़क तक पहुंचाने का निर्णय लिया, लेकिन छह किमी की दूरी तय करने के बाद पीड़ा अत्याधिक बढ़ने पर उन्हें बीच रास्ते में ही उसका प्रसव कराना पड़ा। अच्छी बात यह रही कि जच्चा-बच्चा पूरी तरह स्वस्थ थे, इसलिए महिलाएं उन्हें लेकर गांव लौट आईं।

वहीं, पूर्व उपप्रधान सुरेंद्र भंडारी ने बताया कि बुधवार को ही गांव की रिखुली देवी रास्ते में पैर पर पत्थर गिरने से घायल हो गईं। चलने में असमर्थ होने के कारण ग्रामीणों को उसे 10 किमी कंधे पर ढोकर रोड हेड तक ले जाना पड़ा। तब जाकर उसे वाहन से राजकीय महिला उप जिला चिकित्सालय ऋषिकेश पहुंचाया जा सका।

ग्राम नौडू, पुनगुड़ू, बिल्की पुंगड़ी, लंबधार सहित कई गांव सड़क से वंचित हैं। सड़क मार्ग तक पहुंचने के लिए इन गांवों के ग्रामीणों को पांच से 12 किलोमीटर की लंबी दूरी कच्चे मार्ग से तय करनी पड़ती है। स्वास्थ्य खराब होने पर मरीजों की जान पर बन आती है।

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