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नैनीताल। पर्यटन कारोबार के नजरिए से यह साल अब तक सुकून लेकर नहीं आया है। 15 मई से सीजन शुरू हो चुका है और पर्यटकों से खचाखच भरी रहने वाली माल रोड और नैनीझील में न के बराबर पर्यटन दिखाई दे रहे हैं।
होटलों की बुकिंग में 30 फीसदी छूट के बावजूद कारोबार 10 फीसदी पर सिमट कर रह गया है।

नैनीताल चिड़ियाघर और फड़-खोखा कारोबार को 50 से 70 फीसदी तक गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। पर्यटन स्थलों का दीदार करने वाले पर्यटकों की संख्या भी 500 से 1000 के बीच ही रह गई है।

कारोबारियों का कहना है कि नैनीताल में कोरोनाकाल के बाद पहली बार ऐसा मौका आया है जब अप्रैल-मई में पर्यटकों के आने का इंतजार करना पड़ रहा है।

शहर की आर्थिकी की रीढ़ माने जाने वाले होटल, होम स्टे, टैक्सी, धार्मिक पर्यटन, फड़ कारोबार आदि को कुल मिलाकर अप्रैल से अब तक 60 करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है। हालांकि, लोगों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में टूरिस्टों की संख्या में इजाफा देखने को मिलेगा।

होटल: 10 फीसदी पर कारोबार

शहर में होटल कारोबार आर्थिकी की सबसे बड़ी रीढ़ है। पर्यटन सीजन से पहले और सीजन के दौरान अधिकांश होटलों की बुकिंग फुल रहती है। लेकिन, इस बार कहानी ठीक उलट है। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद नैनीताल के बवाल और उसके बाद भारत-पाक के बीच तनाव के हालातों ने कारोबार की कमर तोड़ दी। 15 मई से 19 मई तक 90 फीसदी की गिरावट आई है।

करीब 80 से 90 फीसदी नुकसान कारोबारियों को उठाना पड़ रहा है। होटलों में एडवांस बुकिंग भी न के बराबर है। होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह बिष्ट ने बताया कि बीते साल सीजन में प्रतिदिन शहर में 25 से 30 हजार पर्यटक आते थे, इस बार मुश्किल से दो से ढाई हजार पर्यटक ही शहर में आ रहे हैं।

टैक्सी कारोबार: ऑफ सीजन जैसी शुरुआत

टैक्सी कारोबार केवल पर्यटकों की आमद पर निर्भर रहता है। सूखाताल टैक्सी एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक मटियाली ने बताया कि सीजन शुरू होने के बावजूद अब तक ऑफ सीजन जैसा ही लग रहा है। बीते साल सीजन के पहले हफ्ते के मुकाबले इस बार 30 फीसदी काम भी नहीं है। 300 से अधिक टैक्सियों का संचालन होता है। रोजाना एक-दो बुकिंग ही मिल पा रही है।

फड़-खोखा: 70 फीसदी की गिरावट

शहर में फड़-खोखा कारोबार भी कई लोगों के रोजगार का एकमात्र जरिया है। लेकिन इस बार इसमें भी 70 फीसदी की गिरावट आई है। करीब 200 से अधिक लोग मल्लीताल पंत पार्क और अन्य जगहों पर फड़ लगाते हैं। जिनकी कमाई केवल 20 से 30 फीसदी पर अटकी हुई है। बाजार की तरफ गिने-चुने पर्यटक आ रहे हैं।

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