नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट उन तीन व्यक्तियों की दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई करने जा रहा है, जिन्होंने गलत सजा और मौत की सजा का दोष झेलने के बाद बरी होने पर मुआवजे की मांग की है।
याची ने 12 साल जेल में बिताए और बाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरी कर दिया गया।
याचिकाकर्ता ने अपनी गलत गिरफ्तारी, अभियोजन और दोषसिद्धि के लिए मुआवजे की मांग की है।
6 वर्ष फांसी की सजा के इंतजार में बिताए
मुख्य याचिकाकर्ता 41 वर्षीय रामकिरत मुनिलाल गौड़ है, जो महाराष्ट्र राज्य से गलत दोषसिद्धि और बारह साल की कैद, जिसमें से छह वर्ष उन्होंने फांसी की सजा के इंतजार में बिताए। उन्होंने मुआवजा मांगा है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी करते समय यह पाया था कि उनकी दोषसिद्धि त्रुटिपूर्ण और दूषित जांच पर आधारित थी।
पीठ ने इस मामले में 27 अक्टूबर को कहा कि हम भारत सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अटॉर्नी जनरल से आग्रह करते हैं कि वह इस मामले में अदालत की सहायता करें।
दूसरे याचिकाकर्ता तमिलनाडु के कट्टावेल्लई और उत्तर प्रदेश के संजय को भी हत्या व बलात्कार के मामले में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी ।
जिन्हें बाद में सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया था। कट्टावेल्लई के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गलत तरीके से कैद करने के मामलों में मुआवजा देने के लिए एक कानून होना चाहिए।












