नैनीताल माँ नैना देवी मंदिर में वट सावित्री का त्योहार धूमधाम से मनाया गया, सुहागिन महिलाएं मंदिर पूजा पाठ की,पति की लंबी उम्र की कामना
रिपोर्टर गुड्डू सिंह ठठोला
नैनीताल। माँ नैना देवी मंदिर में वट सावित्री व्रत के पावन पर्व के मौके पर भक्त जनों की भीड़ देखने को मिली वही सुहागिन महिलाओं ने वटवृक्ष के नीचे बैठकर पूजा अर्चना की और अपनी पति की लंबी उम्र की कामना की ।
सवेरे से ही महिलाओं का मंदिर में आना प्रारंभ हो गया था माना जाता है कि वट सावित्री व्रत उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल अंचल में विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिए श्रद्धा और आस्था के साथ रखा जाने वाला एक पवित्र हिंदू उपवास है।
यह व्रत सावित्री और सत्यवान की पौराणिक कथा पर आधारित है और करवा चौथ से मिलता-जुलता होते हुए भी स्थानीय परंपराओं से गहराई से जुड़ा है। नैनीताल में महिलाएं नयना देवी मंदिर के प्रांगण में पारंपरिक कुमाऊंनी वेशभूषा—घाघरा-पिचोड़ा, नथ और पहुंची—धारण कर एकत्र होती हैं। वे वटवृक्ष के नीचे बैठकर उसके तने पर पवित्र सूत बांधती हैं
पूजा करती हैं और सावित्री की अटल निष्ठा की कथा का पाठ करती हैं। इस व्रत की एक खास परंपरा कुमाऊं अंचल की पारंपरिक लोक चित्रकला ‘ऐपण’ है, जिसमें गेरू और चावल के घोल से घर के द्वार (धेई) और पूजास्थल पर ऐपण बनाए जाते हैं।
मंदिर की दीवारों पर महिलाएं प्राकृतिक रंगों से ‘पट्टा चित्रण शैली’ में ‘वट सावित्री’ पर आधारित पट्टे सामूहिक रूप से बनाती हैं। यह पूजा महिलाओं की सामूहिक आस्था, प्रकृति पूजन और लोक कला का अनुपम संगम है।