चीन को ललकार रहा, भारत को पुकार रहा! टैरिफ वार में इंडिया से पंगा क्यों नहीं ले रहे डोनाल्ड ट्रंप
चीन को घुटनों पर लाने के लिए ट्रंप ने चली नई चाल, 3 साल के लिए लगा दिया टैक्स
भारतीय शेयर बाजार में दोबारा रौनक लौट रही है. इस कारोबारी हफ्ते के दौरान बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी 50 में करीब 6 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला. विदेशी निवेशकों की वापसी, महंगाई दर कम होने और मॉनसून सीजन बेहतर रहने की उम्मीद ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है।
बीएसई बेंचमार्क सेंसेक्स 4,706.05 प्वाइंट ऊपर चढ़ा यानी 6.37 प्रतिशत की उछाल देखने को मिला. जबकि एनएसई निफ्टी में चार कारोबारी सत्र के दौरान 6.48 प्रतिशत यानी 1452.5 अंक ऊपर गया. इसके बाद निवेशकों की संपत्ति 25.77 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई. इसके साथ ही, बीएसई में लिस्टेड कंपनियों की कुल बाजार पूंजी 419 लाख करोड़ रुपये हो गई।
शेयर बाजार शुक्रवार को गुड फ्राइडे की वजह से बंद रहा और उसके बाद शनिवार और रविवार के चलते बंद है. बाजार के जानकारों के कहना है कि इस तरह के शेयर मार्केट में सकारात्मक रुझान की वजह है विदेश निवेश का आना, अमेरिका की तरफ से टैरिफ पर 90 दिनों के लिए लगाए गए ब्रेक और आरबीआई की तरफ से मौद्रिक नीति में ढील देना।
इन सभी के चलते ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में इतनी अनिश्चितताओं के बावजूद इंडियन मार्केट को वापसी में मदद मिली है. प्रोविजन एक्सचेंज डेटा का मुताबिक, पिछले दो कारोबारी सत्र के दौरान भारतीय शेयर में करीब 1 बिलियन डॉलर से ऊपर का विदेशी निवेश किया गया है।
बाजार में इस पॉजिटिव संकेत के पीछे अमेरिकी सरकार की तरफ से टैरिफ पर ब्रेक के साथ ही अन्य देशों के साथ संभावित बातचीत के रास्त खोलने के ट्रंप सरकार के फैसले से भी बाजार को बल मिला है. इससे व्यापारिक तनाव के बीच निवेशकों को राहित मिली है और ग्लोबल स्टॉक मार्केट में इसका असर दिख रहा है।
इसके अलावा, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से लगातार दूसरी बार 25 बेसिस प्वाइंट का 9 अप्रैल को रेपो रेट में कटौती भी निवेशकों के विश्वास को बढ़ाया है. सबसे खास बात ये है कि आरबीआई ने अपने रुख को बदलते हुए अब न्यूट्रल की जगह बाजार को बढ़ावा देने वाला बना लिया है. इसके सात ही, मार्च के महीने में खुदरा महंगाई दर 3.34 प्रतिशत पर आ गया है, जो पिछले करीब छह वर्षों में सबसे कम है. खुदरा महंगाई दर कम होने का मतलब है सब्जी, अंडे और प्रोटीन से जुड़ी अन्य चीजों का सस्ता होना।
भारत की परचेजिंग पावर काफी मजबूत
दरअसल, सवाल यह उठता है कि ट्रंप भारत को इतनी अहमियत क्यों दे रहे हैं, जबकि चीन पर लगातार दबाव बनाने की रणनीति अपनाई जा रही है। हाल ही में ग्लोबल स्टैटिस्टिक्स ने IMF के आंकड़ों के आधार पर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें जीडीपी के लिहाज से चीन पहले स्थान पर बना हुआ है। अमेरिका दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर है। चूंकि भारत की परचेजिंग पावर काफी मजबूत हो रही है, ऐसे में अमेरिका एक ओर चीन की बढ़ती ताकत को सीमित करना चाहता है और दूसरी ओर भारत को साथ लेकर अपने हितों को साधना चाहता है।
भारत और अमेरिका के संबंध मजबूत
जब मीडिया ने भारत पर टैरिफ को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से सवाल किया, तो उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी हाल ही में अमेरिका आए थे और हम दोनों के बीच हमेशा से बेहतरीन दोस्ती रही है। वह बेहद समझदार और चतुर नेता हैं, और मेरे अच्छे मित्र भी हैं। हमारी मुलाकात और बातचीत काफी सकारात्मक रही। मुझे पूरा विश्वास है कि भारत और अमेरिका के संबंध मजबूत और अच्छे बने रहेंगे। मैं यह भी कहना चाहता हूं कि भारत के पास एक शानदार प्रधानमंत्री है।”
चीन के विदेश मंत्रालय ने की आलोचना
SCMP के अनुसार, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह कदम ग्लोबल सप्लाई चेन में बाधा, लागत में वृद्धि और अमेरिकी उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ बढ़ा सकता है. उनका कहना था कि यह नीति अमेरिका में जहाज निर्माण उद्योग को पुनर्जीवित करने में सफल नहीं होगी. USTR की योजना के अनुसार हर जहाज से साल में अधिकतम पांच बार टैक्स वसूला जाएगा. टैक्स उस बंदरगाह पर लिया जाएगा, जहां जहाज पहली बार अमेरिका में प्रवेश करता है, जिससे छोटी बंदरगाहों को बायपास करने से रोका जा सके.
चीन की प्रमुख शिपिंग कंपनी
विशेषज्ञों का मानना है कि इस नीति का सबसे अधिक असर चीन की प्रमुख शिपिंग कंपनियों जैसे COSCO और OOCL पर पड़ेगा. शिपिंग कंसल्टेंसी वेस्पुची मैरीटाइम के सीईओ लार्स जेन्सेन के अनुसार, Ocean Alliance, जिसमें COSCO, OOCL, Evergreen और CMA CGM शामिल हैं. इन्हें अपने नेटवर्क में बदलाव करने की आवश्यकता पड़ सकती है.उनका अनुमान है कि कुछ बड़े चीनी कंटेनर जहाजों के लिए प्रति पोर्ट कॉल टैक्स $10 मिलियन से अधिक हो सकता है. वहीं चीनी-निर्मित जहाजों पर यह टैक्स $4 मिलियन प्रति पोर्ट कॉल तक हो सकता है.
अमेरिकी जहाज के ऑर्डर पर छूट
अमेरिका LNG की मदद से चलने वाली गाड़ियों और विदेशी निर्मित वाहन ट्रांसपोर्टर्स पर भी टैक्स लगाने की तैयारी कर रहा है. विदेशी ऑटोमोबाइल वाहकों को प्रति यूनिट $150 का टैक्स देना होगा. यह छूट अवधि समाप्त होने के बाद लागू होगी. हालांकि USTR ने कुछ मामलों में राहत भी दी है. जैसे कि छोटे जहाज (4,000 TEU से कम) और कम दूरी की यात्राओं (2,000 समुद्री मील से कम) को छूट दी गई है. इसके अलावा अगर कोई ऑपरेटर समान आकार का अमेरिकी जहाज ऑर्डर करता है तो उसे चीनी जहाज पर टैक्स से छूट मिल सकती है।
USTR की तरफ से 100 फीसदी टैरिफ का प्रस्ताव
USTR ने शिप-टू-शोर क्रेन और कार्गो हैंडलिंग उपकरण पर भी 100% तक टैरिफ का प्रस्ताव दिया है, जो चीन से आयात किए जाते हैं. यह अमेरिका के समुद्री उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है. इस नई नीति के प्रभाव को लेकर वैश्विक चिंताएं बढ़ रही हैं. क्लार्कसन रिसर्च ने 2025 के लिए अपने वैश्विक जहाज निर्माण पूर्वानुमान को 30% की गिरावट के साथ संशोधित किया है. निवेशक अब अमेरिकी व्यापार नीतियों में अनिश्चितता के कारण सतर्क हो गए हैं।
