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होनहार बेटी को खो चुके नायब सूबेदार राजेंद्र सिंह रावत और उनका परिवार केवीएम स्कूल प्रबंधन के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई चाहता है।

फौजी पिता का साफ कहना है कि अंजलि को लेकर सिर्फ लापरवाही नहीं दिखाई गई, बल्कि स्कूल प्रबंधन का संवेदनहीन चेहरा भी सामने आया है।

सवाल उठाते हुए कहा कि जब सूचना मिलने पर उन्हें कहा था कि वह शाहजहांपुर से आ रहे हैं, तब तक बेटी को बरेली के अस्पताल में ही रखना। फिर क्यों शव को चुपचाप बगैर पोस्टमार्टम के हल्द्वानी ले आए। इतनी बड़ी घटना के बाद भी फनसिटी में टूर को क्यों जारी रखा गया? दूसरी तरफ, पिता की तहरीर पर मुखानी थाने में केवीएम स्कूल प्रबंधन के विरुद्ध गैर इरादतन हत्या के आरोप में मामला दर्ज कर लिया गया है।

डूबने से मौत की पुष्टि नहीं

वहीं, सूत्रों की माने तो पोस्टमार्टम में अंजलि के डूबने से मौत की पुष्टि नहीं हो पाई। इसके अलावा उसे पहले से कोई गंभीर बीमारी भी नहीं थी। सिर्फ नाक में झाग नजर आया।

हीरानगर स्थित केवीएम स्कूल प्रबंधन गुरुवार को स्कूली बच्चों को लेकर बरेली के फनसिटी टूर लेकर गया था। भगवानपुर स्थित नैनी व्यू कालोनी निवासी नायाब सूबेदार राजेंद्र सिंह रावत की कक्षा 12 में पढ़ने वाली बेटी अंजलि रावत (17) भी इसमें शामिल थी, लेकिन दोपहर सवा 12 बजे स्कूल की एक शिक्षिका ने मां सरिता को फोन कर बताया कि अंजलि के बेहोश होने की वजह से वह उसे फनसिटी से नजदीकी अस्पताल लेकर जा रहे हैं। इसके बाद शाहजहांपुर में तैनात राजेंद्र को भी फोन पहुंचा। जिस पर उन्होंने कहा कि आप लोग (स्कूल स्टाफ) रुके रहिएगा।

वह ड्यूटी से बरेली के लिए निकल रहे हैं, लेकिन पिता के कहने के बावजूद इंतजार करने के बजाय अंजलि के शव को निजी एंबुलेंस में रखकर हल्द्वानी लाया जाता है। दूसरी तरफ, बेटी के सकुशल लौटने का इंतजार कर रही सरिता एंबुलेंस में उसके शव को देख बेसुध हो गई। इस बीच राजेंद्र भी घर पहुंच गए।

शव को एंबुलेंस में छोड़कर स्कूल वाले लौट गए

वहीं, स्कूल प्रबंधन की लापरवाही से आक्रोशित लोग जब आवास पर जुटे तो शव को एंबुलेंस में छोड़कर स्कूल वाले लौट गए। इसके बाद शुक्रवार को पोस्टमार्टम के बाद रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट पर चाचा सुंदर रावत और प्रीतम सिंह ने अंजलि को मुखाग्नी दी। दूसरी तरफ, मुखानी थानाध्यक्ष विजय मेहता ने बताया कि पिता की तहरीर पर स्कूल प्रबंधन के विरुद्ध गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है।

शाम सात बजे एसटीएच पहुंचे, तब लौट रही थी स्कूली बसें

चाचा गिरीश के अनुसार, शाम सात बजे वे लोग एसटीएच पहुंचे थे, क्योंकि पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू करनी थी। इस दौरान टूर में गए बाकी बच्चे बसों से लौट रहे थे। इससे पता चलता है कि हादसे के बाद भी घंटों तक टूर जारी रखा गया।

पिता राजेंद्र सिंह रावत ने पुलिस को सौंपी तहरीर में बताया था कि उन्हें पूरी आशंका है कि उनकी बेटी की इरादतन हत्या की गई है। स्कूल प्रबंधन के साथ ही जिस जगह पर ये घटना हुई है। उसके विरुद्ध भी मामला दर्ज होना चाहिए। हालांकि, पुलिस ने गैर इरादतन हत्या के आरोप में प्राथमिकी की है।

घटनास्थल बरेली के इज्जतनगर थानाक्षेत्र होने के कारण प्राथमिकी वहां ट्रांसफर होगी। हालांकि, इससे पूर्व प्राथमिक जांच मुखानी पुलिस करेगी। दारोगा वीरेंद्र बिष्ट को फिलहाल जांच मिली है। उन्होंने कुछ लोगों से जानकारी भी जुटाई है।

गुरुवार शाम स्कूल प्रबंधन की लापरवाही की बात जैसे-जैसे लोगों को पता चली। राजेंद्र रावत के घर लोग जुटने लग गए। इस बीच पुलिस की गाड़ियां केवीएम स्कूल के बाहर पहुंच गई थी। आशंका थी कि आक्रोशित लोग यहां न पहुंच जाएं।

घटना को लेकर पिता व रिश्तेदारों के सवाल

  • पिता के कहने के बाद भी शव को हल्द्वानी लाने की जल्दीबाजी क्यों की?
  • बरेली में जिन अस्पतालों में दिखाया गया, वहां के पर्ची व बिल कहां है?
  • स्कूली छात्रा की जान जाने के बावजूद स्कूल प्रबंधन ने चुप्पी क्यों साधी ?
  • विद्यार्थियों की इतनी संख्या के बाद भी मेडिकल टीम साथ में क्यों नहीं भेजी?
  • एंबुलेंस से शव को चुपचाप लाने की वजह कहीं साक्ष्यों को मिटाना तो नहीं?
  • एक स्टाफ 240 और दूसरा 170 बच्चों की संख्या क्यों बता रहा?
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