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आतंकवाद को समर्थन देने की पाकिस्तान की पुरानी नीति अब उसी पर भारी पड़ती दिख रही है। एक तरफ ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) चला कर भारत की सेना ने पाकिस्तान को सैन्य मोर्चे पर झटका दिया है, तो दूसरी ओर पाकिस्तान के ही बलूचिस्तान प्रांत में अलगाववाद की आग फिर से भड़क उठी है।

बलूच बागियों ने एक बार फिर पाकिस्तान से आज़ादी की मांग तेज़ कर दी है, जिससे ना-पाक सरकार की चिंता बढ़ गई है। उन्होंने पाकिस्तान का झण्डा उतार कर अपना ध्वज की जगहों पर लगा दिया है।

हाल के दिनों में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर सीमा पर कई बार सीज़फायर का उल्लंघन किया। मगर भारतीय सेना ने सख्त रुख अपनाते हुए पाकिस्तानी चौकियों को निशाना बनाया और घुसपैठ की हर कोशिश को नाकाम कर दिया। सेना के सूत्रों के अनुसार, इस जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। पाकिस्तान के तमाम शहर भारतीय लड़ाकू विमानों और मिसाइलों की जद मे चल रहे हैं।

उधर ईरान से भी पिटते पाकिस्तान की अंदरूनी स्थिति भी बद से बदतर होती जा रही है। बलूचिस्तान में दशकों से उपेक्षा और दमन का सामना कर रहे बलूच लोगों में असंतोष अब चरम पर है।

बलूच लिबरेशन आर्मी और अन्य संगठनों ने अब पाकिस्तान से पूर्ण स्वतंत्रता की मांग दोहराई है। हाल ही में बलूच नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय मंचों से अपील करते हुए पाकिस्तान को “कब्जा करने वाला देश” बताया था।

अब बालूच बागियों ने पाकिस्तान के कई बड़े प्रतिष्ठानों पर हमला बोल दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहीं तस्वीरों मे देखा जा सकता है कि कई जगहों से पाकिस्तानी झंडे को उखाड़ फेंका गया है।

वहाँ पर बलूच लोगों ने अपना झण्डा लगा दिया है। कहना गलत नहीं होगा कि पाकिस्तान गृहयुद्ध के मुहाने पर खड़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की आतंकवाद-समर्थक नीतियों ने न सिर्फ भारत, बल्कि उसके अपने देश को भी नुकसान पहुंचाया है।

पाकिस्तान ने जिन चरमपंथी संगठनों को कभी अपने हितों के लिए इस्तेमाल किया, वही अब उसके नियंत्रण से बाहर हो चुके हैं। इससे देश की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय छवि तीनों पर असर पड़ा है।

भारत की सैन्य कार्रवाई और बलूच विद्रोह, दोनों पाकिस्तान के लिए गंभीर चेतावनी हैं। सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान अपनी नीतियों में बदलाव करेगा या फिर यह गिरावट उसके टुकड़ों में बंटने की शुरुआत होगी?

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