भारतीय शेयर बाजार में हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार यानी 25 अप्रैल को शुरुआती बढ़त के बाद बड़ी गिरावट देखने को मिली है. सेंकेक्स करीब एक हजार अंक गिरकर 78,800 के लेवल पर आ गया तो वहीं दूसरी तरफ निफ्टी 335 प्वाइंट्स का फिसलकर 23,908 के स्तर पर पहुंच गया।
बाजार में इस गिरावट की वजह से करीब 10 लाख करोड़ रुपये के भारी नुकसान का अंदेशा है।
हालांकि, ग्लोबल स्टॉक मार्केट की बात करें तो अमेरिका से लेकर जापान तक शेयर बाजारों में मजबूती देखी गई. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि भारतीय बाजार में आखिर इस तरह की गिरावट के पीछे क्या वजह रही, आइये इन तीन प्वाइंट्स में जानते हैं-
1.भारत-पाक में बढ़े तनाव
22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में भारतीय पर्यटकों को निशाना बनाकर उनके ऊपर बड़ा हमला किया गया. ये पिछले करीब 2 दशक में इतनी बड़ी घटना थी, जब इस तरह से 26 लोगों की हत्या कर दी गई. इस मामले पर केन्द्र सरकार ने गुरुवार को सर्वदलीय बैठक भी बुलाई गई. सुरक्षा एजेंसी ने अपनी पड़ताल में इसका सीधा कनेक्शन सीमा पार से पाया है।
इसके बाद जिस तरह से भारत ने एक्शन लेते हुए सिंधु जल संधि को तोड़ने का एलान किया है. ऐसा पहली बार है जब भारत ने कई सालों के राजनीतिक तनाव और दोनों देशों के बीच संघर्ष के बावजूद आधिकारिक तौर पर सिंधु जल संधि को रोका है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या है ये सिंधु जल समौझता? दरअसल, सिंधु जल संधि पर साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच वर्षों की बातचीत के बाद दस्तखत किए गए थे और इसमें विश्व बैंक ने मध्यस्थ के रूप में कार्य किया था. इसका दोनों ही देशों के बाजार में नकारात्मक असर हुआ है।
ऐसा पहली बार है इतने सालों पर और तीन जंग लड़ने के बावजूद भी भारत ने ऐसा कदम नहीं उठाया था, जो इस बार उठाया है. भारत ने कई सालों के राजनीतिक तनाव और दोनों देशों के बीच संघर्ष के बावजूद आधिकारिक तौर पर सिंधु जल संधि को रोका है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या है ये सिंधु जल समौझता? दरअसल, सिंधु जल संधि पर साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच वर्षों की बातचीत के बाद दस्तखत किए गए थे और इसमें विश्व बैंक ने मध्यस्थ के रूप में कार्य किया था.
पाकिस्तान में एक दिन पहले गुरुवार को कराची स्टॉक एक्सचेंज में करीब 2 हजार अंक से ज्यादा की गिरावट देखी गई. इधर, दूसरी तरफ पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत के साथ सभी तरह के व्यापार पर रोक लगाने का एलान किया है. निवेशकों में इस डर की वजह से शेयर मार्केट इस तरह से क्रैश किया है।
2.विदेशी निवेशकों का रुख
शेयर बाजार में गिरावट की एक और वजह ये रही कि मार्च तिमाही के नतीजे आने शुरू हो चुके हैं और कई कंपनियों के नतीजे बाजार के उम्मीद के अनुरुप नहीं रहे हैं. इसकी वजह से जहां उनके शेयरों फिसल रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ विदेशी निवेशक भी अपनी रणनीति बदलते दिख रहे हैं और बाजार से पैसा निकाल रह हैं. इसकी वजह से बाजार का आज ये हाल दिख रहा है।
3. मुनाफावसूली
इसके अलावा बाजार गिरने की एक वजह ये भी है कि भारतीय शेयर बाजार में 23 अप्रैल तक लगातार सात दिनों की तेजी देखी गई. उसके बाद 24 अप्रैल को बाजार की सुस्त रफ्तार रही. ऐसे में कई इन्वेस्टर्स अब इस ऊंचे स्तर पर मुनाफावसूली की कोशिश में है, जिसकी वजह से शेयर बाजार में गिरावट का दौर है।
वैश्विक बाजारों की बात करें तो वॉल स्ट्रीट में शानदार बढ़त देखी गई. इससे एशियाई बाजारों में पॉजिटिव संकेत मिला. साउत कोरिया के शेयरों में उछाल देखी गई. जबकि जापान का निक्केई 1.23 प्रतिशत ऊपर चढ़ा तो वहीं दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.63 प्रतिशत नीचे फिसल गया।
S&P में 2.03% की बढ़ोतरी हुई. नैस्डेक कंपोजिट 2.74 प्रतिशत तो वहीं डॉउ जोन्स इंडस्ट्रियल 1.23 प्रतिशत के साथ ऊपर चढ़ा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, फेडरल रिजर्व के अधिकारियों का कहना है कि अगर इकॉनोमी की दिशा के बारे में साफ सबूत मिले तो वे जून के महीने की शुरूआत में दरों में कटौती का विचार कर सकते हैं।
ताइवान का बाजार 2% के ऊपर चढ़कर 19,880.39 के स्तर पर कारोबार कर रहा था जबकि हैंगसेंग 1.55% की उछाल के साथ 22,256.11 के स्तर पर कारोबार कर रहा था।
