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उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में सुविधाओं का विकास नहीं होने से पलायन जारी है। अपने नए ठिकाने की तलाश में लोग नजदीकी मैदानी शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। जिससे इन शहरों की आबादी हर साल बढ़ रही है।

ऐसे में बिजली और पानी की मांग लगातार बढ़ रही है।

कुमाऊं में हल्द्वानी में लोगों की बसासत बढ़ने से हर साल औसतन दस लाख लीटर पानी और दो लाख यूनिट बिजली की मांग बढ़ रही है। इसके बाद भी मांग के अनुसार संसाधन विकसित नहीं किए जाने से लोगों की परेशानियां लगातार बढ़ रही हैं।

कुमाऊं की आर्थिक राजधानी होने के साथ ही स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा होने से पर्वतीय जिलों से हर साल लोग यहां आकर अपना आशियाना बना रहे हैं। अपने घर और व्यवसायिक प्रतिष्ठान के लिए बिजली और पानी के कनेक्शन भी लिए जा रहे हैं।

हर साल औसतन छह सौ पानी और एक हजार बिजली के कनेक्शन बढ़ रहे हैं। साल 2023 में जल संस्थान 76,467 कनेक्शन तक पेयजल पहुंचा रहा था। वहीं 2024 में इनकी संख्या बढ़ कर 77075 हो गई है। एक साल में ही पानी के 608 कनेक्शन बढ़ गए। ऐसी ही स्थिति बिजली की बनी हुई है।

वर्ष 2023 में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में 1,54,833 घरेलू और व्यवसायिक कनेक्शन में बिजली की मांग बनी हुई थी। वर्ष 2024 में इनकी संख्या 1136 की बढ़ोत्तरी के साथ 1,55,969 पहुंच गई है। ऐसे की हालात इससे पहले के सालों में रहे हैं। जिससे हर साल हल्द्वानी में आबादी बढ़ने से बिजली पानी का संकट गहरा रहा है।

बिजली-पानी की बढ़ रही मांग

एक परिवार के लिए मानकों के अनुसार हर दिन न्यूनतम 850 लीटर पानी की जरूरत होती है। वहीं हर माह औसतन दो सौ यूनिट बिजली का उपयोग किया जाता है। हल्द्वानी में लगातार बढ़ रहे कनेक्शन की संख्या से इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। जल्द ही इसके अनुसार व्यवस्था नहीं किए जाने पर संकट ज्यादा बढ़ने की आशंका बनी हुई है।

पर्वतीय जिलों में दस साल में हुआ पलायन

जिला अस्थाई पलायन स्थाई

पिथौरागढ़ 31786 9883

बागेश्वर 23388 9512

अल्मोड़ा 53611 16207

चम्पावत 20232 7886

नैनीताल 20951 4823 नोट आंकड़े पलायन आयोग की फरवरी 2023 में जारी की गई आखिरी रिपोर्ट के अनुसार

आबादी बढ़ने से दो गुने हुए शहर के वार्ड

राज्य बनने से हल्द्वानी नगर पालिका में तीस वार्ड थे। शहर से लगे गांव ने आबादी बढ़ने से शहर का आकार ले लिया है। ऐसे में 2018 में गांवों को वार्ड बनाकर नगर निगम में शामिल कर दिया गया है।

अभी भी निगम की सीमा से बाहर लगे गांव शहर का आकार ले रहे हैं। इससे सहज की अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां की आबादी कितनी तेजी से बढ़ रही है।

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