उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की भर्ती परीक्षाओं का 11 साल का सफर विवादों से भरा रहा है। इस दौरान अध्यक्ष-सचिव को जेल तक जाना पड़ा।
आयोग की गंभीर लापरवाही और गड़बड़ियों के कारण पांच प्रमुख परीक्षाएं रद्द हुईं और एक परीक्षा में तो दस सेंटरों को स्थगित कर दोबारा परीक्षा कराई गई।
11 सालों में हाईटेक नकल, एक ही कोचिंग सेंटर के 66 सफल उम्मीदवार और लाखों अभ्यर्थियों का विश्वास टूटना जैसे मामले शामिल हैं।
इन 11 साल में नियुक्त दो अध्यक्षों ने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पद से इस्तीफा दे दिया, एक अध्यक्ष, सचिव और परीक्षा नियंत्रक को जेल तक जाना पड़ा। इन प्रकरणों से न केवल आयोग की किरकिरी हुई है, बल्कि इससे लाखों बेरोजगारों के विश्वास पर भी कुठाराघात हुआ है। यूकेएसएसएससी की अब तक करीब पांच महत्वपूर्ण भर्ती परीक्षाओं को गड़बड़ी के कारण रद्द किया गया है। जबकि एक परीक्षा में दस सेंटरों को स्थगित कर यहां दोबारा परीक्षा कराई गई थी।
मुख्यमंत्री ने एसटीएफ को सौंपी थी जांच
वर्ष 2021 में आयोजित तीन भर्ती परीक्षाओं को दिसंबर 2022 और जनवरी 2023 में रद्द किया गया। जिनकी जांच एसटीएफ की ओर से की गई थी। इनमें स्नातक स्तर की 13 विभाग के 916 पदों की भर्ती परीक्षा चार एवं पांच दिसबर 2021 को आयोजित की गई थी। परीक्षा के लिए ढाई लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। जबकि परीक्षा में 1.47 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए। परीक्षा के बाद आयोग ने परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया था। इसके बाद 22 जुलाई को उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलकर परीक्षा में धांधली का आरोप लगाया। इस पर मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए। इसके बाद जांच एसटीएफ को सौंपी कई। इसके बाद बाद यूकेएसएसएससी ने इस परीक्षा को स्थगित कर दिया था।
एक ही कोचिंग सेंटर के 66 परीक्षार्थी पास
वर्ष 2017 में उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग की ओर से उत्तराखंड पावर कारपोरेशन निगम और उत्तराखंड जल विद्युत निगम में सहायक अभियंता के 252 पदों के लिए पांच नवंबर 2017 को आयोजित की गई थी, जिसे बाद में रदद कर दिया गया। यह परीक्षा उस वक्त विवादों में आ गई थी, जब रुड़की के एक ही कोचिंग सेंटर के 66 बच्चे परीक्षा में सफल हो गए थे।
वन आरक्षी परीक्षा में पकड़े गए थे हाईटेक नकलची
चयन आयोग ने 16 फरवरी 2019 को वन आरक्षी के 1218 पदों की भर्ती परीक्षा प्रदेशभर में आयोजित की थी। परीक्षा में 98 हजार से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे। परीक्षा समाप्त होने की शाम को देहरादून व हरिद्वार में ब्लूटूथ से नकल के मामले सामने आए थे।
बाद में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की तो 12 से अधिक आरोपितों को गिरफ्तार किया था। बाद में इस परीक्षा के हरिद्वार जिले के 10 से अधिक सेंटरों में परीक्षा को रद्द कर दिया गया था।












