नैनीताल में नैनी झील में सीवर व नालों से गंदा पानी पहुंचने से झील का जलस्तर हुआ कम
रिपोर्टर गुड्डू सिंह ठठोला
नैनीताल। शहर के विभिन्न क्षेत्राें में खुले में बह रहे सीवर व नालों से गंदा पानी पहुंचने से झील की सेहत बिगड़ रही है। झील की पारदर्शिता में 25 सेमी तक कमी आई है।
हालांकि नाइट्रेट व फास्फेट का स्तर कम होने से वैज्ञानी इसे संतोषजनक संकेत बता रहे है। पंतनगर विश्वविद्यालय के मत्स्य विभाग विशेषज्ञों के स्थलीय निरीक्षण में यह सामने आया है। विशेषज्ञों ने पानी के नमूने लेकर परीक्षण के लिए लैब भेजे है।
बता दे कि नैनीझील की पारिस्थितिकी को बेहतर बनाये रखने के लिए पंतनगर विवि का मत्स्य विभाग विशेष प्रोजेक्ट पर कार्य का रहा है। जिसके तहत झील की पारिस्थिकी के लिए खतरा बनी बिग हैड व कॉमन कार्प प्रजाति की मछलियां निकाली जा रही है।
साथ ही झील में महाशीर प्रजाति की मछलियों के बीज छोड़े जा रहे है। प्रोजेक्ट में झील के पानी की गुणवत्ता मापन के लिए विशेषज्ञों की ओर से नमूने परीक्षण के लिए लैब भेजे जाते है।
बीते एक वर्ष के परीक्षण में तो संतोषजनक परिणाम मिल रहे थे। मगर इन दिनों झील का पानी उसकी सेहत बिगड़ने की ओर इशारा कर रहा है। विवि के वैज्ञानिक डा. आशुतोष मिश्रा ने बताया कि मंगलवार को पानी के नमूने लिए गए है।
जिसमें पानी की पारदर्शिता में कमी दर्ज की गई है। पूर्व परीक्षणों में पारदर्शिता करीब 150 सेमी दर्ज की गई थी, मगर मंगलवार को यह करीब 126 सेमी दर्ज की गई।
सीवर अथवा नालों से गंदा पानी पहुंचना इसका कारण हो सकता है। हालांकि पानी की गुणवत्ता को लेकर अन्य नतीजे लैब में पानी के परीक्षण के बाद ही सामने आयेंगे
