
जजों की नियुक्ति पर SC की सख्ती, सिविल जज परीक्षा के लिए 3 साल की प्रैक्टिस अनिवार्य
निचली अदालतों में जजों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सभी उच्च न्यायालय और राज्य नियमों में संशोधन करेंगे ताकि सिविल जज सीनियर डिवीजन के लिए विभागीय परीक्षा के जरिए 10 प्रतिशत पदोन्नति को बढ़ाकर 25% किया जाए।
सिविल जज जूनियर डिवीजन परीक्षा में बैठने के लिए 3 साल की न्यूनतम प्रैक्टिस की जरूरत को कोर्ट ने बहाल कर दिया है. राज्य सरकारें सिविल जज सीनियर डिवीजन के लिए सेवा नियमों में संशोधन करके इसे 25 प्रतिशत तक बढ़ा सकेंगी।
सभी राज्य सरकारें नियमों में संशोधन करके यह सुनिश्चित करेंगी कि सिविल जज जूनियर डिवीजन के लिए परीक्षा में शामिल होने वाले किसी भी उम्मीदवार के पास कम से कम 3 साल की वकालत यानी प्रैक्टिस का अनुभव होना चाहिए. 10 साल की प्रैक्टिस का अनुभव रखने वाले वकील से प्रमाणित किया जाना चाहिए।
इससे पहले सुनवाई करते हुए सीजेआई बीआर गवई ने कहा था कि हमने विचार के लिए 8 मुद्दे तय किए हैं. पहला, आरक्षण के लिए 10 फीसदी कोटा को 2022 के फैसले में मूल रूप से अनुशंसित 25 फीसदी पर बहाल किया जाना चाहिए. दूसरी, परीक्षा के लिए न्यूनतम योग्यता 3 साल की सेवा है. तीसरी और 4 मुद्दा, सिविल जज के लिए मेधावी उम्मीदवार के लिए कोटा- सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के लिए पदोन्नति के लिए 10% हो।
‘नए लॉ स्टूडेंट्स की नियुक्ति से हुई हैं समस्याएं’
इसके इलावा उन्होंने 5 मुद्दा बताया था कि उपयुक्तता परीक्षण- कोई सीधा-सादा फार्मूला नहीं बनाया जा सकता. विभिन्न कारकों पर विचार करना प्रासंगिक है. छठवां, परीक्षा में शामिल होने के लिए न्यूनतम-प्रैक्टिस- सिविल जज के लिए न्यूनतम वर्षों की आवश्यकता को बहाल किया जाता है और नामांकन तिथि से इसकी गणना की जाएगी।
सीजेआई ने कहा था कि नए विधि स्नातकों की नियुक्ति से कई समस्याएं पैदा हुई हैं, जैसा कि हाईकोर्ट के हलफनामों से पता चलता है, यह जानना तभी संभव है जब उम्मीदवार को न्यायालय के साथ काम करने का अनुभव हो. हम सभी हाईकोर्ट के साथ इस बात पर सहमत हैं कि न्यूनतम प्रैक्टिस की आवश्यकता है।
‘केवल किताबों के ज्ञान नहीं होना चाहिए’
जजों को नौकरी मिलने के दिन से ही जीवन, स्वतंत्रता, संपत्ति आदि से संबंधित मामलों का सामना करना पड़ता है और इसका जवाब केवल किताबों के ज्ञान से नहीं बल्कि वरिष्ठों का सहयोग करके, न्यायालय को समझकर दिया जा सकता है।
इस प्रकार हम इस बात से सहमत हैं कि परीक्षा से पहले कुछ सेवाओं को फिर से शुरू करना आवश्यक है इसलिए हम मानते हैं कि अंतिम पंजीकरण होने के समय से ही अनुभव की गणना की जाएगी. ऐसा इसलिए है क्योंकि AIBE अलग-अलग समय पर आयोजित किया जाता है. 10 साल का स्टैंड रखने वाले वकील को यह प्रमाणित करना होगा कि उम्मीदवार ने न्यूनतम आवश्यक अवधि की प्रैक्टिस की है।
