नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय क्रूड बाजार में वैश्विक अनिश्चितता का पूरा असर साफ दिख रहा है। ईरान और रूस के तेल निर्यात को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर वैश्विक बाजार में अमेरिकी क्रूड के बाजार को बढ़ावा देने में जुटे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कोशिशों के दूरगामी असर को लेकर अलग-अलग कयास लगाये जा रहे हैं।
लेकिन ताजा स्थिति यह है कि कच्चे तेल की कीमतें पिछले एक वर्ष के न्यूनतम स्तर के करीब (73 डॉलर प्रति बैरल) पहुंच गई है।
केअरएज की तरफ से गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में अगले छह महीने तक कच्चे तेल की कीमतें 75-80 डॉलर प्रति बैरल रहने के आसार है। इसे भारत के लिए कई तरह से बेहतर बताया गया है।
यह स्तर डॉलर के मुकाबले रुपये की लगातार होती कीमत के भारत की इकोनॉमी पर होने वाले नकारात्मक असर कम करेगा।
सरकारी तेल कंपनियों के मार्जिन (मुनाफे) को बढ़ाएगा। लेकिन इसका आसार कम ही है कि सरकारी तेल कंपनियां आम जनता के लिए पेट्रोल डीजल की खुदरा कीमतों में भी कमी करेंगी।
सरकार के आंकड़े भी बता रहे हैं कि कच्चे तेल की कीमतों में नरमी आई है। फरवरी माह के पहले पांच दिन भारतीय कंपनियों ने औसतन 77.77 डॉलर प्रति बैरल की दर से क्रूड की खरीद की है।
जनवरी, 2025 में यह औसत कीमत 80.2 डॉलर प्रति बैरल की थी। सितंबर से दिसंबर, 2024 के दौरान ने भारत ने क्रूड खरीद के लिए औसतन 73.69 डॉलर, 75.12 डॉलर, 73.02 डॉलर और 73.02 डॉलर प्रति बैरल का भुगतान किया है।
72 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आया क्रूड
बुधवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमत बड़ी गिरावट के साथ 72 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गई थी जिसे एक वर्ष का न्यूनतम स्तर बताया गया है। यह स्तर अमेरिका की नई सरकार की तरफ से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने और चीन, मैक्सिको, कनाडा के साथ कारोबारी युद्ध की शुरुआत होने के बाद गया है।
इस बारे में सरकारी तेल कंपनियों के अधिकारी बताते हैं कि अभी हालात बहुत ही अनिश्चित है जो अगले कई महीनों तक बने रहने की संभावना है।
यह भी याद रखना चाहिए कि रूस से तेल खरीदना भारत के लिए अब पहले के मुकाबले ज्यादा मुश्किल होगा। संकेत है कि भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद में कटौती शुरू भी कर दी है।
केअरएज की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका की तरफ से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने, सऊदी अरब की तरफ से तेल उत्पादन में कटौती नहीं करने और रूस की तरफ से तेल आपूर्ति बाधित नहीं होने की सूरत में कच्चे तेल की कीमत 75-80 डॉलर प्रति बैरल अगले छह महीने तक बनी रहेगी।
यह भारत के लिए शुभ संकेत है। अभी भारत में जो पेट्रोल डीजल की खुदरा कीमत है, वह इसी स्तर पर बना रहे तो तेल कंपनियों को 07-09 रुपये प्रति लीटर का मुनाफा होने की संभावना है।
सनद रहे कि देश में तेल कीमतों में अंतिम बार संशोधन मार्च, 2024 में तब हुआ था जब तेल कंपनियों ने पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमतों में दो रुपये प्रति लीटर की कमी की थी।
तब क्रूड की खरीद भारत ने 89 डॉलर प्रति बैरल पर क्रूड की खरीद की थी। उसके बाद क्रूड की कीमतें घट कर 73 डॉलर प्रति बैरल तक आ गई लेकिन आम जनता को कोई राहत नहीं मिली।