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देहरादून। 11 सितंबर 2024 को राजकीय शिक्षक संघ द्वारा शिक्षा निदेशालय, ननूरखेड़ा देहरादून में प्रधानाचार्य सीधी भर्ती परीक्षा और नियमावली को निरस्त करने तथा हर स्तर पर शत-प्रतिशत पदोन्नति की मांग को लेकर क्रमिक अनशन जारी है।

यह संघर्ष सिर्फ शिक्षकों के हितों के लिए नहीं, बल्कि शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

प्रधानाचार्य पदों पर सीधी भर्ती की प्रक्रिया ने शिक्षक संघ के सदस्यों में आक्रोश पैदा किया है।

शिक्षकों की पदोन्नति में हो रही अनदेखी और सीधी भर्ती के माध्यम से हो रहे पदों के आवंटन को संघ अस्वीकार्य मानता है।

इसके परिणामस्वरूप, राज्य भर के शिक्षक इस अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठा रहे हैं और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

क्रमिक अनशन का उद्देश्य

शिक्षक संघ की मुख्य मांग है कि प्रधानाचार्य पदों पर हो रही सीधी भर्ती को समाप्त किया जाए और हर स्तर पर शत-प्रतिशत पदोन्नति के आधार पर नियुक्तियां की जाएं।

यह मांग इसलिए की जा रही है ताकि उन शिक्षकों को न्याय मिल सके जिन्होंने वर्षों तक शिक्षा प्रणाली में योगदान दिया है और अब योग्य होने के बावजूद पदोन्नति से वंचित हैं।

अनशन स्थल पर माहौल

आज अल्मोड़ा, हरिद्वार और उत्तरकाशी के शिक्षक साथियों ने प्रातः 10 बजे से इस अनशन में भाग लिया है। अल्मोड़ा के जिला अध्यक्ष

भारतेंदु जोशी जिला मंत्री भुपाल सिंह चिलवाल, ब्लाक मंत्री ताडीखेत जीवन चन्द्र तिवारी , उत्तरकाशी के जिला अध्यक्ष अतोल सिंह महर , जिला मंत्री बलवंत सिंह अस्वाल,और हरिद्वार के जिला अध्यक्ष हरेंद्र सैनी, जिला मंत्री रविन्द्र रोड, जैसे प्रमुख सदस्यों ने अनशन की बागडोर संभाली है। 

यह अनशन सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक प्रतिबद्धता है—शिक्षकों की उस तपस्या का प्रतीक जो अपने अधिकारों और सम्मान के लिए लड़ी जा रही है।

आंदोलन का प्रभाव

इस अनशन के माध्यम से शिक्षक संघ ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया, तो यह आंदोलन और भी बड़ा रूप ले सकता है।

यह संघर्ष शिक्षकों की उस मेहनत और उनके सालों के अनुभव का सम्मान है, जिसे वे शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर दे रहे हैं।

जनजागरण की अपील

यह आंदोलन सिर्फ शिक्षकों का नहीं, बल्कि समाज के हर उस व्यक्ति का है जो शिक्षा को देश की रीढ़ मानता है।

इस क्रमिक अनशन के माध्यम से हम जनता से आग्रह करते हैं कि वे इस आंदोलन को समर्थन दें और सरकार पर दबाव बनाएं कि शिक्षकों के साथ न्याय हो। 

जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, यह संघर्ष जारी रहेगा, और शिक्षक संघ हर संभव कदम उठाएगा ताकि शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित किया जा सके।

एकजुट रहें, संघर्ष करें, और न्याय की इस लड़ाई में हमारे साथ खड़े हों।

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