वर्षों से निवास कर रहे अधिकांश वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से गायब करने का आरोप
हल्द्वानी। वार्ड 43, छडायल में अधिकांश वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से नाम गायब कर दिये गये कई ऐसे वोटर थे, जो वर्षों से वहां निवास कर रहे हैं।
जिन्होंने पिछले विधानसभा व लोकसभा चुनाव में वोट डाला था, लेकिन निकाय चुनाव वाली वोटर लिस्ट में उन अधिकांश परिवारों का नाम लिस्ट से गायब था।
ऐसे बहुत से लोग आज अपना वोट डालने मतदान केंद्र में पहुंचे तो उन्हें निराश होकर घर वापस लौटना पड़ा, वासुदेव पुरम, जय देवता कालौनी , छडेलनायक,छडेल सुयाल,सत्या बिहार सैनिक कालौनी व अन्य जगहों के पूरे के पूरे नाम पूरी कालोनी के गायब कर दिये गये।
अगर यह सभी नाम वोटर लिस्ट में होते तो, मतदान का प्रतिशत स्तर बहुत अच्छा होता, राज्य निर्वाचन आयोग को भी अपने संज्ञान में लेना होगा, लोग अपने मताधिकार से वंचित हुए बूथों में व्यवस्था बहुत ग़लत रही इसका जिम्मेदार कौन है।
पूर्ण रूप प्रशासन जिम्मेदार है कम से कम वार्ड 43छडायल 2500 से ज्यादा मतदाता ग़ायब किया गया जो जो बिल्कुल निन्दनीय है ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को नकेल कसने की जरूरत है।
प्रशासन क्यूं मूक बना रहा क्या कारण रहा जो ऐप में नाम आ रहे थे उन्हें अन्दर वोट नहीं डालने दिया गया यह साजिश किसकी रही जनता को भी इसका विरोध करना चाहिए ।
जो बी एल ओ नियुक्त किए थे उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए प्रत्याशी चुनाव लड़ें या अपना विवरण भरें उसमें भी निर्दलीय प्रत्याशियों को उलझाया गया, तीन चार घंटे तक प्रत्याशी केवल लेखा-जोखा में ही उलझे रहे,यह हमारा संविधान नहीं कहता मुख्य एजेंट क्यों बनाया जाता है ।
उसको रूम में जाने से वंचित किया गया केवल कुछ लोगों को छोड़कर यह क्या न्याय प्रद है पीठासीन अधिकारियों ने लोगों को सही ढंग से वोट डालने के लिए सही व्यवस्था नहीं बनाना बूथों की संरचना मनमानी ढंग से बनाए जाना वोटर को परेशान करना यह भी बहुत चिंता करने का विषय है ।
प्रशासन द्वारा प्रत्याशियों को बाहर रखना कुछ पर मेहरबान यह भी सोचना होगा चुनाव कभी भी निष्पक्ष होना चाहिए
और हां इन बूथों पर विडिओ ग्राफी व पानी की व्यवस्था शौचालय की व्यवस्था तक नहीं की गई थी महिलाओं को जो पांच छः घंटे तक खड़ी रही बड़ी दिक्कतो का उन्हें सामना करना पड़ा,
में जनता की शुक्रगुजार हूं जो रात नौ बजे तक लाइन में खड़े होकर वोट दे रही थी में उसको भी धन्यवाद दूंगी जो वोट देने आयें और वोट से वंचित रहे परेशानी सहनी पड़ी।
यह सब सरकारी तंत्र की लापरवाही का नतीजा कहे या किसी व्यक्ति विशेष के लिए विशेष कृपा कहें कहीं ना कहीं तो कुछ खिचड़ी सियासी पकी है जिससे जनता परेशानी में आयी है
अगर प्रशासन ऐसे ही मूकदर्शक बना रहा तो कहीं जनता से मिलकर हमें आंदोलन के लिए बाध्य ना होना पड़े। क्या यह सब जो सरकारी तंत्र फेल हुआ है, मीडिया भी इन्हें ढंग से कवर करने नहीं पहुंच पाया।
इसकी जिम्मेदारी लेने आगे कौन आयेगा कोई जिम्मेदारी लेंगे अधिकारी या फिर आयी गई बातें होंगी या प्रशासनिक मिलीभगत समझी जायेगी की किसी विशेष प्रत्याशियों पर सरकारी तंत्र की चाल रही ।
शिकायत की गई कमिश्नर , डीएम ने फोन नहीं उठाया, एसडीएम,सीटी मजिस्ट्रेट, चुनाव अधिकारी, आदि लेकिन संज्ञान नहीं लिया गया पुलिस द्धारा महिला प्रत्याशी को डाट कर बाहर निकालना, महिला प्रत्याशी के मुख्य एजेंट को बाहर करना धक्का मारना गाली देना कहां का न्याय है।
सोचने का विषय है कहीं ना कहीं सब जबरदस्त खिचड़ी पक रही है। सभी सवधान होने की जरूरत है यह महिला शक्ति का अपमान है।
आगे भविष्य में हम उत्तराखंड को हमरा सरकारी तंत्र कहा ले जा रहा है यह भी सभी को सोचना पड़ेगा ।
एडवोकेट ज्योति भट्ट
वार्ड 43छडायल प्रत्याशी
