उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड के जिलों में स्थापित जिला दिव्यांग की पुनर्वास केंद्रों में विशेषज्ञ स्टॉफ की तैनाती की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की
रिपोर्टर गुड्डू सिंह ठठोला
नैनीताल। उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के जिलों में स्थापित जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्रों में विशेषज्ञ स्टॉफ की तैनाती की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट की खण्डपीठ ने सचिव स्वास्थ्य, सचिव समाज कल्याण व कमिश्नर दिवियांगजन को कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 9 जनवरी को पेश होने को कहा है। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 9 जनवरी की तिथि नियत की है।
पिछली तिथि को कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से एक हफ्ते के भीतर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। आज राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि 13 जिलों में सेंटर तो बनाये गए है।
परन्तु टिहरी जिले में सारी सुविधाएं उपलब्ध है बाकि 12 जिलों सेंटर तो बने हैं परन्तु स्टाफ व अन्य सुविधाएं उपलब्ध नही है।
केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि टिहरी में पूरी सुविधाएं उपलब्ध होने के कारण उसी को ही केंद्र की योजनाओं का लाभ मिल रहा है।
बाकि जिलों में सुविधाएं उपलब्ध नही होने के कारण वे केंद्र की योजनाओं से वंचित हो रहे हैं।
आपकों बता दे कि मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों की संस्था “रोशनी” की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि केंद्र सरकार के फंड से जिलों में जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र खोले गए हैं।
इन केंद्रों में अलग अलग श्रेणी के दिव्यांगजनों की मदद के लिये विशेषज्ञ स्टॉफ की नियुक्ति व अन्य ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करानी होती हैं। जिसका समस्त खर्चा केंद्र सरकार वहन करती है।
किंतु टिहरी जिले को छोड़ अन्य जिलों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है।
जिस कारण इस अति महत्वपूर्ण सुविधा के लाभ से दिव्यांगजन वंचित हैं।