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महाकुंभ में उमड़ा आस्था का जनसमुद्र, स्नानार्थियों की संख्या 35 करोड़ के पार

प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य नज़ारा देखने को मिला, जहां बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं ने अमृत स्नान किया। महाकुंभ में यह सबसे पवित्र अनुष्ठान माना जाता है, जिसमें देश-विदेश से संत, साधु और श्रद्धालु संगम तट पर एकत्रित होते हैं।

बसंत पंचमी के अमृत स्नान पर महाकुंभ में अब तक स्नानार्थियों की संख्या ने 35 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया. सोमवार को सुबह 8 बजे तक 62.25 लाख श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पावन डुबकी लगाई।

इसके साथ ही महाकुंभ में स्नानार्थियों की कुल संख्या 35 करोड़ के पार हो गई. अभी महाकुंभ को 23 दिन शेष है और पूरी उम्मीद है कि स्नानार्थियों की संख्या 50 करोड़ के ऊपर जा सकती है।

महाकुंभ में देखने को मिल रही विविध संस्कृतियों की झलक

प्रयागराज में श्रद्धालुओं / स्नानार्थियों के जोश और उत्साह में कोई कमी नहीं दिख रही है. पूरे देश और दुनिया से पवित्र त्रिवेणी में श्रद्धा और आस्था के साथ डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त करने के लिए श्रद्धालु प्रतिदिन करोड़ों की संख्या में प्रयागराज पहुंच रहे हैं।

बसंत पंचमी के अंतिम अमृत स्नान पर भी सुबह से ही करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम स्नान को पहुंचे. रविवार 2 फरवरी को करीब 1.20 करोड़ ने स्नान किया था, जिसके बाद कुल स्नानार्थियों की संख्या 35 करोड़ के करीब पहुंच गई थी, जिसने सोमवार सुबह यह आंकड़ा पार कर लिया. स्नानार्थियों में 10 लाख कल्पवासियों के साथ-साथ देश विदेश से आए श्रद्धालु एवं साधु-संत शामिल रहे।

स्नान पर्व पर उमड़ रही श्रद्धालुओं की भारी भीड़

यदि अब तक के कुल स्नानार्थियों की संख्या का विश्लेषण करें तो सर्वाधिक 8 करोड़ श्रद्धालुओं ने मौनी अमावस्या पर स्नान किया था, जबकि 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति के अवसर पर अमृत स्नान किया था. एक फरवरी और 30 जनवरी को 2-2 करोड़ के पार और पौष पूर्णिमा पर 1.7 करोड़ श्रद्धालुओं ने पुण्य डुबकी लगाई.

ये प्रमुख लोग अब तक लगा चुके हैं पावन डुबकी

गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ (मंत्रिमंडल समेत) संगम में डुबकी लगा चुके हैं. इसके अलावा राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल, केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल, बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी, राज्य सभा सांसद सुधा मूर्ति, असम विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव, प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडे, गोरखपुर के सांसद रवि किशन, हेमा मालिनी, बॉलीवुड एक्ट्रेस भाग्यश्री, अनुपम खेर, मिलिंद सोमण, एक्ट्रेस से किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनीं ममता कुलकर्णी, कवि कुमार विश्वास, क्रिकेटर सुरेश रैना, खली और कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा भी संगम में स्नान कर चुके हैं।

महाकुंभ में देखने को मिल रही विविध संस्कृतियों की झलक

प्रयागराज में श्रद्धालुओं / स्नानार्थियों के जोश और उत्साह में कोई कमी नहीं दिख रही है. पूरे देश और दुनिया से पवित्र त्रिवेणी में श्रद्धा और आस्था के साथ डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त करने के लिए श्रद्धालु प्रतिदिन करोड़ों की संख्या में प्रयागराज पहुंच रहे हैं. बसंत पंचमी के अंतिम अमृत स्नान पर भी सुबह से ही करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम स्नान को पहुंचे. रविवार 2 फरवरी को करीब 1.20 करोड़ ने स्नान किया था, जिसके बाद कुल स्नानार्थियों की संख्या 35 करोड़ के करीब पहुंच गई थी, जिसने सोमवार सुबह यह आंकड़ा पार कर लिया. स्नानार्थियों में 10 लाख कल्पवासियों के साथ-साथ देश विदेश से आए श्रद्धालु एवं साधु-संत शामिल रहे.

स्नान पर्व पर उमड़ रही श्रद्धालुओं की भारी भीड़

यदि अब तक के कुल स्नानार्थियों की संख्या का विश्लेषण करें तो सर्वाधिक 8 करोड़ श्रद्धालुओं ने मौनी अमावस्या पर स्नान किया था, जबकि 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति के अवसर पर अमृत स्नान किया था. एक फरवरी और 30 जनवरी को 2-2 करोड़ के पार और पौष पूर्णिमा पर 1.7 करोड़ श्रद्धालुओं ने पुण्य डुबकी लगाई.

महानिर्वाणी अखाड़े के संतों ने सर्वप्रथम स्नान किया, जिसके बाद दूसरे अखाड़ों के संत और श्रद्धालु स्नान में शामिल हुए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी पर अमृत स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं. आइए जानते हैं बसंत पंचमी के अमृत स्नान से जुड़े पांच प्रमुख आध्यात्मिक लाभ।

1. मोक्ष की प्राप्ति

ऐसा माना जाता है कि महाकुंभ के दौरान बसंत पंचमी पर अमृत स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है. पवित्र जल में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं, और व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर होता है. यह स्नान भक्तों को ईश्वर के निकट ले जाता है और उनके आत्मिक विकास में सहायक होता है।

2. सात पीढ़ियों की शुद्धि

हिंदू धर्मग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि संगम में स्नान करने से केवल स्नान करने वाले व्यक्ति को ही नहीं, बल्कि उसकी सात पीढ़ियों को भी पुण्य लाभ मिलता है. कहा जाता है कि पवित्र जल का आशीर्वाद पीढ़ी-दर-पीढ़ी संचित होता है और उनके पूर्वजों की आत्मा को भी तृप्ति प्राप्त होती है. इसीलिए, भक्त अपने पूर्वजों की मुक्ति और आत्मिक शांति के लिए महाकुंभ में स्नान करना अत्यंत शुभ मानते हैं।

3. पूर्वजों की आत्मा को शांति

धार्मिक मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती अवतरित हुई थीं और उनका अदृश्य रूप प्रयागराज के संगम में सरस्वती नदी के रूप में प्रवाहित होता है. इस पवित्र संगम में स्नान करने से पूर्वजों की आत्मा को तृप्ति मिलती है और उनके लिए किए गए श्राद्ध और तर्पण का पूर्ण फल प्राप्त होता है. यह स्नान न केवल पितरों को शांति देता है, बल्कि स्नान करने वाले व्यक्ति को भी आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।

4. स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती में लाभ

गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने से शरीर को दिव्य ऊर्जा मिलती है. कई धार्मिक मान्यताओं और वैज्ञानिक शोधों के अनुसार, गंगा जल में औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर की बीमारियों को दूर करने और मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि अमृत स्नान से:

  • शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
  • चर्म रोग, मानसिक तनाव और दूसरी बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
  • व्यक्ति में आंतरिक ऊर्जा का संचार होता है।

5. आध्यात्मिक शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा

अमृत स्नान को आध्यात्मिक शुद्धि का सबसे प्रभावशाली साधन माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन संगम में डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति का हृदय पवित्रता एवं भक्ति से भर जाता है।

संगम स्नान के प्रमुख आध्यात्मिक लाभ:

  • सभी पापों का नाश होता है।
  • व्यक्ति सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है।
  • मानसिक शांति और आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।
  • जीवन में धर्म, भक्ति और सत्कर्मों की ओर झुकाव बढ़ता है।
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