प्राकृतिक आपदाओं का दर्द झेलने वाले हिमालयी राज्य उत्तराखंड की चिंता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट में दिखी। बजट भाषण में वित्त मंत्री ने उत्तराखंड में बादल फटने और भूस्खलन से होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए केंद्रीय सहायता देने का जिक्र किया।
मुख्यमंत्री धामी कहते हैं, प्राकृतिक आपदा की स्थिति में केंद्र सरकार मानकों के अनुरूप हमारी सहायता करती है। इस बार बजट भाषण में उत्तराखंड का प्रमुखता से जिक्र हुआ है। हम उम्मीद करते हैं कि बादल फटने और भूस्खलन से होने वाली क्षति पर हमें केंद्र से अतिरिक्त सहायता प्राप्त होगी।
उत्तराखंड को हर साल वनाग्नि, भूस्खलन, बाढ़, बादल फटने की घटनाओं से सैकड़ों करोड़ रुपये की जानमाल हानि होती है। जोशीमठ भू-धंसाव की घटना ताजा उदाहरण है, जिसके पुनर्निर्माण के लिए केंद्र सरकार विशेष पैकेज की स्वीकृति दी है। बजट में पहाड़ की सबसे बड़ी पीड़ा की परवाह राज्य को राहत देने वाली मानी जा रही है।
हजारों गांवों के सड़कों से जुड़ने का सपना पूरा होने की उम्मीद
उत्तराखंड में आज भी तीन से चार हजार गांवों सड़कों से नहीं जुड़ पाए हैं, लेकिन बजट में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) की चौथे चरण योजना शुरू करने का जिक्र प्रमुखता से हुआ है।
सीएम कहते हैं कि पीएमजीएसवाई के नए मानकों से उत्तराखंड को भी बड़ा लाभ मिलेगा और यहां के गांव सड़कों से जुड़ सकेंगे। उधर, आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि यदि आबादी का मानक 100 से 200 का होता है, तो इससे राज्य के हजारों गांवों में सड़क पहुंचने का सपना पूरा हो सकता है।
केंद्रीय करों में 2,217 करोड़ बढ़ा राज्य का हिस्सा
केंद्रीय बजट से इस बार राज्य सरकार को केंद्रीय करों से 2,217 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि प्राप्त होगी। केंद्रीय करों में राज्य के अंश के तौर पर प्रदेश के लिए 13,943 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
पिछले वित्तीय वर्ष में उत्तराखंड को 11,726 करोड़ की राशि केंद्रीय करों में राज्य के अंश के रूप में प्राप्त हुई थी। अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद बर्द्धन कहते हैं, बढ़ी हुई राशि से राज्य को लाभ होगा। उनके मुताबिक, दीर्घ अवधि के ऋण की सीमा बढ़ाए जाने का फायदा होगा।