विकासखण्ड ताड़ीखेत के ग्राम बिल्लैख को सेब उत्पादन के लिए जाना जाने लगा है।
कुमाऊं क्षेत्र मे ऐप्पल मैन के नाम से जाने जाते है गोपाल उप्रेती
रिपोर्ट- बलवन्त सिंह रावत
रानीखेत। विकासखण्ड ताड़ीखेत के ग्राम बिल्लैख के रहने वाले गोपाल उप्रेती जो कि सेब उत्पादन के लिए कुमाऊं क्षेत्र मे ऐप्पल मैन के नाम से जाने जाते है। वही कुछ समय पहले इन्होनें ही लगभग 7 से 7.5 फिट धनिये के पौधे का उत्पादन कर गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड मे अपना नाम दर्ज किया था।
बता दे कि पर्यटन नगरी रानीखेत से लगभग 52 किमी दूर स्थित ग्राम बिल्लैख मे गोपाल उप्रेती का 60 नाली मे बना हुआ सेब का बागीचा है। जहा पर इस समय सेबों को तोड़कर उनकी पैकिंग का काम चल रहा है।
आपको बता दे कि पैकिंग के लिए सबसे पहले सेब की ग्रेडिंग का काम किया जाता है। जिसमे अलग अलग ग्रेड़ के सेबों को इकट्ठा कर पैक किया जाता है। जिसके बाद उन्हे मंडियो मे भेज दिया जाता है। इस काम के लिए लगभग 12 से 15 क्षेत्रीय ग्रामीण मजबूर तोडने व पैकिग करने के कार्य पर लगे रहते है।
गोपाल उप्रेती ने बताया कि सेब की बागबानी में खाद के अलावा प्रूनिंग का भी विशेष महत्व होता है। जैविक खेती के लिए सड़ी हुई गोबर खाद का प्रबंध करना एक बहुत बड़ा संघर्ष होता है। साथ ही अगर प्रूनिंग ठीक से न हो तो सेब का उत्पादन नहीं हो पाता।
हर साल फरवरी के समय ही प्रूनिंग का काम किया जाता है, और स्थानीय किसान भाइयों को भी बुलाकर नई प्रूनिंग की तकनीक सिखाने के लिए वर्कशॉप भी आयोजित किया जाता है।
हर दिन स्वयं निगरानी रखना जरूरी होता है, इसीलिए वास्तविक में हो या ऑनलाइन, मैं रोज एक घंटा बगीचे में उपस्थित रहता हू। साठ नाली में फैले बगीचे में किंग रॉट, गेल गाला, मेज गाला, डार्क बेड गाला, रेड डिलीशियस, स्कारलेट 2, ऑर्गन 2, ग्रैनी स्मिथ, रेड गोल्ड जैसी 10 से 12 प्रजातियों का उत्पादन होता है।
उत्तराखंड राज्य देश का तीसरा सबसे बड़ा सेब उत्पादक है, पर आज भी सेब हम हिमाचल की पेटियों में भरकर उनके नाम से ही बेचा करते है। पर इस बार सरकार ने उत्तराखंड के नाम के कार्टन बनवाए हैं, और हमने उनसे खरीदकर पैकिंग भी की है।
उन्होने कहा कि पैकेजिंग का भी बहुत महत्व होता है। अगर आपने पैकेजिंग अच्छे से नहीं की हैं, तो आपको मंडी में उचित मूल्य नहीं मिलेगा।
तकनीक की मदद से इसमें ग्रेडिंग की जा सकती है, जो हमने भी इस्तेमाल में लाई है, और हमारे यहा बगीचे में कुमाऊं क्षेत्र की प्रथम ग्रेडिंग मशीन लगी है। जिससे हम ग्रेडिंग कर सेब की पैकिंग करते है।