देवभूमि उत्तराखंड फिर एक बार चर्चा में है. हुआ यह कि घुसपैठियों के खिलाफ लोगों का गुस्सा इस कदर फूट पड़ा है कि अब लोग अपने गांव में घुसपैठियों को घुसने नहीं देना चाहते।
असल में उत्तराखंड के पहाड़ी गांवों में घुसपैठियों को चेतावनी देने के लिए बकायदा गांव के एंट्री पर बोर्ड तक लगा दिए गए हैं कि रोहिंग्या मुसलमानों का गांव में घुसना मना है. वैसे देश में कहीं भी किसी के आने-जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा सकता…लेकिन रुद्रप्रयाग की पहाड़ियों में ऐसा क्या हो गया कि रोहिंग्या और गैर हिंदुओं के खिलाफ बोर्ड लगाना पड़ गया।
रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ
अब सवाल है कि क्या पहाड़ पर आंदोलन शुरू हो गया है. रोहिंग्या..उत्तराखंड छोड़ो. यह तो सत्य है कि रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ पूरे देश की समस्या है।
उत्तराखंड में रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ…तो पहाड़ तक हो चुकी है और अब पहाड़ के लोगों ने खुद ही रोहिंग्याओं को रोकने का बीड़ा उठा लिया है और उसकी शुरूआत इस तरह के चेतावनी बोर्ड से की गई है।
उत्तराखंड के ऊंची पहाड़ियों पर मौजूद गांव के बाहर इस तरह के चेतावनी बोर्ड लगे हैं. जिसमें यही सब लिखा है. रोहिंग्या मुसलमानों को गांव में घुसने से रोकने के लिए चेतावनी दी गई है..हालांकि इस पर जब विवाद हुआ तो पुलिस-प्रशासन ने इस होर्डिंग को हटवा दिया. ज़ी न्यूज़ ने गांव के लोगों से बात की तो वो भी इस तरह के बोर्ड के खिलाफ नजर आए।
कुछ युवा भले ही चेतावनी बोर्ड को गलत बता रहे हों..लेकिन गांव के बुजुर्ग ना सिर्फ चेतावनी बोर्ड को सही ठहरा रहे हैं, बल्कि केदारनाथ धाम से भी गैर हिंदुओं को हटाने की मांग कर रहे हैं।
रुद्रप्रयाग के कई गांव में भी रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ चेतावनी बोर्ड दिखा. यहां और खड़िया गांव का चेतावनी बोर्ड हुबहू एक जैसा था. शेरसी गांव में ये बोर्ड किसने लगाया..इस पर कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
गैरहिंदुओं के गांव में एंट्री के खिलाफ
केदारनाथ यात्रा के प्रमुख पड़ाव फाटा के नजदीक रवि ग्राम में होर्डिंग में लिखी चेतावनी पिछले 2 चेतावनी से हल्की थी…यहां चेतावनी बोर्ड में रोहिंग्या मुसलमानों का जिक्र नहीं था…इसमें गैर हिंदू और फेरी वाले शब्द का प्रयोग था..हालांकि प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए बोर्ड हटवा दिया था. स्थानीय लोग खुले तौर पर गैरहिंदुओं के गांव में एंट्री के खिलाफ थे. आखिर उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके के लोग गैर हिंदुओं…खासकर रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ है. ऐसा करने के पीछे वजह ये है कि
– उत्तराखंड के पहाड़ों पर तेजी से मुसलमान आबादी बढ़ रही है
– कई ऐसी जगह हैं..जहां मुसलमान कभी नहीं थे वहां मुस्लिम आ चुके हैं
– आंकड़े भी इसकी गवाही दे रहे हैं. 2001 में उत्तराखंड में 11.92 फीसदी मुस्लिम थे…जो 2011 में बढ़कर 13.95 फीसदी हो गए…अगर ताजा आंकड़ा आएगा..ये आंकड़ा और भी बढ़ जाएगा।
– जबकि हिंदुओं की आबादी उत्तराखंड में घट गई है
देहरादून में भी रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ अघोषित अभियान चलाया. सड़क पर ठेला-रेहड़ी लगाने वालों का पुलिस वेरिफिकेशन करवा रही है. उत्तराखंड में डेमोग्राफी में बदलाव बड़ा मुद्दा है।
आरोप लगते रहे हैं कि राज्य के धार्मिक स्थलों के आस-पास तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ी है..और उनमें घुसपैठियों की संख्या ज्यादा है. इसी वजह से राज्य में कई बार हिंदू और मुसलमानों के बीच तनाव की स्थिति भी दिख चुकी है।