देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने बीते साल विधायकों की शानदार वेतन वृद्धि की और उनके आश्रितों को कैशलेस इलाज की सुविधा से नवाजा. तो इस बार पूर्व विधायकों की बल्ले बल्ले होने वाली है. पूर्व विधायकों की पेंशन में एक झटके में बीस हजार रुपये की बढ़ोतरी होने वाली है।
बुधवार को हुई धामी कैबिनेट की मीटिंग में इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई. पूर्व विधायकों के टेलिफोन से लेकर यात्रा भत्ते में भी बढ़ोतरी की जा रही है।
इसके अलावा कैबिनेट ने पूर्व विधायकों की पेंशन में हर साल तीन हजार का इंक्रीमेंट लगाने को भी मंजूरी दे दी है. अब इसे विधानसभा के बजट सत्र में मंजूरी के लिए सदन के पटल पर रखा जाएगा।
बीते साल सितंबर में उत्तराखंड विधानसभा के सदस्यों के वेतन-भत्तों में करीब एक लाख से अधिक की बढ़ोतरी कर दी गई थी. उत्तराखंड के विधायकों का वेतन भत्ता दो लाख नब्बे हजार से बढ़ाकर चार लाख कर दिया गया था।
इसके साथ ही विधायकों और उनके आश्रितों को कैशलेस इलाज की सुविधा भी दी गई. सरकार ने बीते साल सितंबर में ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में हुए मानसून सत्र में विधायकों के वेतन-भत्ते बढ़ाने और उन्हें कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान करने के लिए विधानसभा विविध विधेयक पारित किया था।
इससे पहले विधायकों के वेतन और पूर्व विधायकों की पेंशन में वर्ष 2018 में भी बढ़ोतरी की गई थी।
बीते साल विधानसभा ने विधायकों की सदन और निर्वाचन क्षेत्र, सेवा शर्तों पर विचार के लिए विधायक प्रीतम सिंह की अध्यक्षता में एक तदर्थ समिति का गठन किया था. इस समिति ने विभिन्न राज्यों की व्यवस्था का अध्ययन करने के बाद अपनी रिपोर्ट विधानसभा को सौंपी थी।
विधानसभा में पारित विधेयक में वेतन-भत्तों की राशि तीन लाख रुपये से बढ़ाकर लगभग चार लाख रुपये तक करने को सहमति प्रदान कर दी गई थी. साथ ही इसमें विधायकों और उनके आश्रितों को कैशलेस इलाज की सुविधा भी अनुमन्य की गई।
इसके अलावा एम्स की संस्तुति पर विधायकों का विदेश में इलाज भी अनुमन्य किया गया है. इसके अलावा रेलवे के लिए दिए जाने वाले भत्ते का इस्तेमाल न होने पर वह भत्ता विधायकों को कैश भुगतान करने की सुविधा दी गई।
जो कि तकरीबन 70 हजार के करीब है. तब पूर्व विधायकों की पेशन में भी वृद्धि की गई थी, लेकिन विधायकों का कहना था कि यह अपर्याप्त है।
2018 से अब तक माननियों के पेंशन, वेतन भत्तों में दो से तीन बार बढ़ोतरी कर दी गई है. इसको लेकर आलोचनाएं भी शुरू हो गई हैं. तराई से किसान नेता गणेश उपाध्याय का कहना है कि काश ऐसा जनता के बारे में भी सोचा होता. मनरेगा श्रमिकों की आज तक मानदेय नहीं बढ़ाया गया।
आंगनबाड़ी,उपनल से लगे सैकड़ों युवा आज भी न्यूनतम मानदेय पर काम कर रहे हैं. विधायकिका ने कभी उनकी सुध नहीं ली, लेकिन आश्चर्यजनक ढंग से चुपचाप अपने वेतन भत्ते बढ़ा दिए जा रहे हैं।
गणेश उपाध्याय जैसे कई लोगों का कहना है कि ये परिपाटी अच्छी नहीं है. शायद उत्तराखंड अपने पड़ोसी राज्यों में अकेला ऐसा राज्य होगा, जो अपने विधायकों को इतना अधिक वेतन भत्ते दे रहा है।