देहरादून। विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन विभिन्न राजनीतिक दल और सामाजिक संगठनों ने मूल निवास, भू कानून और शहर के मुद्दों को लेकर विधानसभा कूच किया।
रिस्पना पुल से पहले लगे बेरिकेडिंग के पास पुलिस बल ने प्रदर्शनकारियों को रोक दिया।
इस दौरान पुलिस के साथ कई संगठन के कार्यकर्ताओं की धक्कामुक्की भी हुई। मौके पर सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह को ज्ञापन सौंपा।
रोजगार, पेंशन और आश्रितों को लाभ देने को लेकर विभिन्न जिलों से पहुंचे एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्ला संगठन से जुड़े लोगों ने परेड ग्राउंड से विधानसभा कूच किया।
रिस्पना से पहले बेरिकेडिंग के पास पुलिस बल ने प्रदर्शनकारियों को वहीं रोक दिया। कुछ प्रदर्शनकारियों ने आगे बढ़ने की कोशिश की जिससे पुलिस के साथ धक्कामुक्की हुई।
इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के के मीडिया कार्डिनेटर हरीश कोठारी को ज्ञापन सौंपा। जिसमें उन्होंने शीघ्र ही मुख्यमंत्री से वार्ता कराने का आश्वासन दिया। इसके बाद सभी प्रशिक्षितों को पुलिस ने वाहन में जैन धर्मशाला में छोड़ा।
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष युद्धबीर सिंह राणा ने बताया कि पिछले 18 वर्षों से मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जब तक मांग पूरी नहीं होगी एकता विहार स्थित धरनास्थल पर बेमियादी धरना जारी रखेंगे। इस मौके पर महासचिव महाबीर सिंह रावत, सुलोचना, यशपाल चौहान, बृजमोहन नेगी, ललित मोहन बगौली, संगीता चौधरी, डीआर जखमोला, चरण सिंह चौहान, अनिल प्रसाद भट्ट आदि मौजूद रहे।
मूल निवास और भू कानून के मुद्दों पर रीजनल पार्टी ने की नारेबाजी
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के कार्यकर्ताओं ने नेहरू कालोनी स्थित फव्वारा चौक से मूल निवास और भू कानून की मांग को लेकर कूच किया।
मांगों पर कार्रवाई ना होने से नाराज कार्यकर्ताओं में नाराजगी दिखी और जमकर नारेबाजी की। पुलिस से धक्कामुक्की के बाद कार्यकर्ता वहीं धरने पर बैठ गए।
इसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से राज्यपाल और मुख्यमंत्री को मांगपत्र भेजा। राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव प्रसाद सेमवाल और प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल ने कहा कि मजबूत भू-कानून और मूल निवास 1950 लागू किया जाए।
कहा कि सरकार मूल निवास भूकानून से जनता का ध्यान हटाने के लिए लिए समान नागरिक संहिता कानून थोप रही है। उन्होंने इस कानून से लिव-इन रिलेशनशिप को हटाने की मांग की। इस मौके पर प्रदेश संगठन सह सचिव राजेंद्र गुसाई, विनोद कोठियाल, राजेंद्र कोठियाल, सुरेंद्र चौहान, ललित श्रीवास्तव, प्रांजल नौडियाल, मीना थपलियाल आदि मौजूद रहे।
एलिवेटेड रोड़ के नाम पर बस्तियों को ना उजाड़ने, छूटे हुए राज्य आंदोलनकारियों की चिह्नीकरण की प्रक्रिया शुरू करने, सशक्त भू कानून बनाने, सहसपुर क्षेत्र में साइबर सिटी के नाम पर ग्रामीणों की भूमि के अधिग्रहण पर रोक लगाने, देवाल में 500 परिवारों को भेजे गए वन विभाग के नोटिस वापस लेने समेत आठ सूत्रीय मांगों को लेकर विभिन्न दल और सामाजिक संगठनों ने एलआइसी बिल्डिंग से विधानसभा रैली निकाली।
सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री को आठ सूत्रीय मांगपत्र भेजा। सीपीआइएम के राज्य सचिव राजेंद्र पुरोहित और जिला सचिव शिवप्रसाद देवली ने कहा कि एलिवेटेड रोड को लेकर एनजीटी के फैसले को वापस लिया जाए ,बस्तियों को मालिकाना हक मिले। उन्होंने समान नागरिक संहिता को हटाने की भी मांग कमी। साथ ही द्रोणपुरी में सार्वजनिक मार्ग पर अवैध गेट लगाने का विरोध किया।
प्रदर्शन करने वालों में सीपीआइएम के देहरादून सचिव अनंत आकाश, बसपा के महामंत्री सतेंद्र चोपड़ा, जिलाध्यक्ष दिग्विजय सिंह, उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष नवनीत गुसाईं, अमित परमन, उत्तराखंड क्रांति दल की महिला अध्यक्ष मेजर संतोष भंडारी, केंद्रीय उपाध्यक्ष प्रमिला रावत, सीटू के महामंत्री लेखराज, एटक के प्रदेश महामंत्री अशोक शर्मा के अलावा बस्ती बचाओ आंदोलन, चेतना आंदोलन, किसान सभा, कांग्रेस मंडल अध्यक्ष जनवादी महिला समिति के पदाधिकारी शामिल रहे।
चुनाव में जनता से किए वादों को पूरा करे सरकार
मूल निवास, भू-क़ानून के साथ ही दिल्ली की तर्ज पर उत्तराखंड के लोगों को फ्री बिजली-पानी देने और 2022 चुनाव में जनता से किए वादों को पूरा करने की मांग को लेकर मूल निवास भू-क़ानून संघर्ष समिति ने विधानसभा कूच किया। समिति की ओर से सिटी मजिस्ट्रेट को भू-क़ानून का ड्राफ्ट और भाजपा का 2022 का दृष्टिपत्र सौंपा गया।
संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि मूल निवास पर विधानसभा सत्र में चर्चा की जाए। भू-कानून जनपक्षीय होना चाहिए। उन्होंने समान नागरिक संहिता में लिव इन रिलेशनशिप के प्रावधान का भी विरोध किया।
कहा कि विधानसभा सत्र में विधायकों और पूर्व विधायकों के वेतन-भत्ते और पेंशन में वृद्धि की जा रही है जबकि जनमुद्दों का समाधान नहीं हो रहा। सेवानिवृत्त कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे हैं।
आशा, आंगनबाड़ी और भोजनमाताएं मानदेय बढ़ाने के लिए लगातार संघर्ष कर रही हैं। अल्प मानदेय पर काम कर रहे अन्य कर्मचारी भी आंदोलित हैं।
बेरोजगार युवा रोजगार के लिए भटक रहा है। ऐसे समय में सरकार को इन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।