उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कालागढ़ डैम के समीप वन विभाग व सिंचाई विभाग की भूमि पर अवैध रूप से रह रहे 4 से 5 सौ परिवारों को हटाए जाने के मामले पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई
रिपोर्टर गुड्डू सिंह ठठोला
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कालागढ़ डैम के समीप वन विभाग व सिंचाई विभाग की भूमि पर अवैध रूप से रह रहे सेवानिवृत्त व अन्य करीब 4 से 5 सौ परिवारों को हटाए जाने के मामले पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट की खण्डपीठ ने चीफ सेकेट्री यूपी व चीफ सेकेट्री को आपस मे मीटिंग कर मामले लिए गए निर्णय से कोर्ट को अवगत कराने के निर्देश दिए है।
मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने कोर्ट ने 18 अप्रैल की तिथि नियत की है।
आज हुई सुनवाई के दौरान चीफ सेकेट्री उत्तराखंड वर्चुअल माध्यम से पेश हुए उन्होंने कोर्ट को अवगत कराया कि कालागढ़ डैम यूपी सरकार के अधीन है। यहां पर रह रहे लोग उत्तर प्रदेश के कर्मचारी है इसलिए उन्हें वहां से विस्थापित करना उत्तर प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है।
जिसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कालागढ़ डैम व उसकी आसपास की कुछ भूमि उत्तराखंड सरकार को हस्तांतरित की जा चुकि है इसलिए चीफ सेकेट्री ये कहना कि यह भूमि उत्तर प्रदेश सरकार की है पूरी तरह गलत है।
आपकों बता दे कि कालागढ़ जन कल्याण उत्थान समिति ने उच्च न्यायलय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि तत्कालीन यूपी सरकार ने 1960 में कालागढ़ डैम वनाएँ जाने के लिए वन विभाग की कई हजार हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करके सिंचाई विभाग को दी थी।
साथ मे यह भी कहा था कि जो भूमि डैम बनाने के बाद बचेगी उसे वन विभाग को वापस किया जाएगा। डैम बनने के बाद कई हेक्टेयर भूमि वापस की गई, लेकिन शेष बची भूमि पर सेवानिवृत्त कर्मचारियों व अन्य लोगो ने कब्जा कर दिया।
अब राज्य सरकार 213 लोगो को विस्थापित कर रही है जबकि वे भी दशकों से उसी स्थान पर रह रहे है।
उनको नही। उन्हें हटने का नोटिस दिया गया है। लिहाजा उनको भी अन्य की तरह विस्थापित किया जाय।
